ऐसी है जानकारी
गौरतलब है कि बीते साल जून में फारूक अब्दुल्ला को तीन साल के लिए इस पद का कार्यभार सौंपा गया था। वहीं बीते कुछ समय से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि उनको अध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है। कुछ इसी बात के मद्देनजर आपात बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सर्वसम्मति के साथ ये तय हुआ कि उनको वाकई पद से हटा जा सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि JKCA वर्किंग कमेटी के 64 सदस्यों का समूह दो हिस्सों में बंट गया था। इसके दो गुट हो चुके थे। इन दो गुटों में 45 सदस्यों का एक समूह पूरी तरह से अब्दुल्ला को हटाने के फैसले का समर्थन कर रहा था।

लंबे समय से JKCA पर है विवादों का साया
आपात स्थिति में बुलाई गई इस बैठक के बारे में जब अब्दुल्ला से पूछा गया तो उन्होंने बैठक को लेकर कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया था। उस समय उनका कहना था कि वह जल्द ही इस बारे में बयान देंगे। अभी फिलहाल इसपर कुछ नहीं बोलेंगे। वैसे देखा जाए तो JKCA एक लंबे समय से विवादों से घिरा रहा है।   

एक नजर पीछे के पन्नों पर
पीछे के पन्नों पर गौर करें तो JKCA के दो सदस्यों पर 2012 में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर FIR दर्ज कराई गई थी। FIR दर्ज कराने के साथ कुछ सदस्यों को हटाया भी गया था। बहुत समय पहले से ही PDP फारूक अब्दुल्ला पर इस बात का आरोप लगाती रही है कि वह JKCA को लेकर कतई गंभर नहीं हैं। इस बात को लेकर उनसे बीते चार सालों से इस्तीफे की भी मांग की जा रही थी। इसको लेकर गंभीर न होने पर अब एसोसिएशन ने ही उनके प्रति सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।

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