विजेता को नहीं मिलती असली ट्रॉफी

कानपुर। फीफा वर्ल्ड कप 2018 की शुरुआत 14 जून से हो रही है। तकरीबन एक महीने तक चलने वाले फुटबॉल के इस महाकुंभ का आयोजन रूस में होगा। इसमें 32 टीमें ट्रॉफी के लिए आपस में भिड़ेंगी, 15 जुलाई को फाइनल मैच होगा और जो टीम यह टूर्नामेंट जीतेगी उसे चमचमाती वर्ल्ड कप ट्रॉफी मिलेगी मगर नकली...जी हां फीफा कभी भी वर्ल्ड कप विजेता को असली ट्रॉफी नहीं देता है। विनर टीम को रेप्लिका (मिलती-जुलती) मिलती है। तो फिर असली ट्रॉफी कैसी है और कहां रखी है, आइए यह भी आपको बता दें।

फीफा वर्ल्ड कप जीतने वाले को मिलती है नकली ट्रॉफी,जानें असली ट्रॉफी कहां है और किसने बनाई थी?

किसने डिजाइन किया था इसे

मौजूदा वक्त में फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी की जो डिजाइन आप देख रहे हैं, उसे साल 1974 में बनाया गया था। फीफा की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, तब 10वां फुटबॉल वर्ल्ड कप खेला जाना था और टूर्नामेंट शुरु होने से पहले फीफा ने करीब 7 देशों से कुल 53 डिजाइन मंगवाए थे, आखिर में इटली के आर्टिस्ट सिल्वियो गैजनीगा की डिजाइन को चुना गया। सिल्वियो की दो साल पहले ही मृत्यु हो गई। ट्रॉफी को बनाते वक्त सिल्वियो ने कहा था कि ट्रॉफी में दो एथलीटों को जश्न मनाते इस तरह दिखाना काफी अद्भुत था। ऊपर की तरफ ग्लोब है जिसका मतलब है कि हम सभी एक साथ मिलकर खेलें।

जश्न मनाने के बाद वापस ले लिया जाता

क्रिकेट में जिस तरह वर्ल्ड कप विजेता टीम को रेप्लिका दी जाती है, ठीक उसी तरह फीफा वर्ल्ड कप में फाइनल जीतने पर असली ट्रॉफी नहीं दी जाती। फीफा की ओरिजनल ट्रॉफी तो ज्यूरिख में बने 'फीफा वर्ल्ड म्यूजियम' में रखी है। इस ट्रॉफी को सिर्फ खास अवसर पर ही बाहर निकाला जाता है। वर्ल्ड कप खेले जाने से पहले असली ट्रॉफी को बाहर निकालकर इसे जगह-जगह घुमाया जाता है। फाइनल मैच वाले दिन यह ट्रॉफी मैदान पर ही रहती है, विजेता ग्राउंड के अंदर ही ट्रॉफी के साथ जश्न मनाते हैं और फिर उसे वापस कर देते हैं। बाद में इस ट्रॉफी का गोल्ड प्लेटेड वर्जन विजेता टीम को सौंप दिया जाता है।

फीफा वर्ल्ड कप जीतने वाले को मिलती है नकली ट्रॉफी,जानें असली ट्रॉफी कहां है और किसने बनाई थी?

असली ट्रॉफी बनी है पूरे सोने की

फीफा वर्ल्ड कप की असली ट्रॉफी का वजन तकरीबन 6175 ग्राम है जिसमें कि 5000 ग्राम से ज्यादा तो असली सोना लगा है। इस ट्रॉफी की ऊंचाई 36 सेमी होती है और चौड़ाई 15 सेमी। अगर आप चाहें तो ज्यूरिख के फीफा म्यूजियम में इस ट्रॉफी को जाकर देख सकते हैं।

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