समीक्षा :
हर फिल्म लगान नहीं होती, और हो भी नहीं सकती। फ़िल्म लगान से एक अच्छी इन्सपिरेशन लेके एक अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है, पर ज़रूरी नहीं है कि वो फ़िल्म अच्छी बने। फिरंगी एक बेहतरीन फ़िल्म हो सकती थी पर अफसोस बन नहीं पाती। फ़िल्म अपनी निचले दर्जे की राइटिंग से मार खाती है। फ़िल्म के किरदार और प्लाट इतने खराब लिखे गए हैं, की आपको एक भी किरदार से प्यार नहीं हो पाता, और जब ये नही होता तो फ़िल्म में दर्शकों का इंटरेस्ट भी डोलने लगता है खसकर तब जब फ़िल्म सब मिलाकर लगभग तीन घंटे लंबी हो। फ़िल्म एक पीरियड फ़िल्म न लगकर एक प्ले की फीलिंग देती है। फ़िल्म का आर्ट डायरेक्शन और कॉस्ट्यूम भी बेहद खराब है। कुलमिलाकर फ़िल्म एक बढ़िया क्वालिटी की नींद की गोली का काम करती है। फ़िल्म की लम्बाई इसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम है, और ऊपर से डायलाग बेहद साधारण है जो कि न तो प्लाट को न ही कहानी को सपोर्ट करती है। जोक्स हैं, पर कम, ये भी फ़िल्म कर अगेंस्ट काम करता है, कारण साफ है कपिल को लोग कॉमेडी के लिए पसनद करते है, और किसी चीज़ के लिए नहीं।

 



अदाकारी:
कपिल जी आप अब एक्टिंग का बिस्तरा समेट लें और वही करें जो आप अच्छा करते हैं। ये आपकी इमेज के लिए भी अच्छा है और आपके बैंक बैलेंस के लिये भी। फ़िल्म के बाकी सभी किरदारों के काम औसत है।

पद्मावती के न रिलीज़ होंने से इस फ़िल्म पर कितना फायदा होगा ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा पर ये बात तो साफ है कि फ़िल्म को अपनी लागत निकालना मुश्किल पड़ेगा। फिर भी अगर आप कपिल के फैन हो तो बेमन से जाकर ये फ़िल्म देख सकते हैं।

वर्डिक्ट : डीसपॉइंटिंग

रेटिंग : 1.5 स्टार

Yohaann Bhargava
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