यहां सालभर सिर्फ पटाखे ही बनते हैं
पटाखों के आविष्कार का श्रेय भले ही चीन को जाता हो लेकिन भारत में एक शहर ऐसा है जिसे पटाखा सिटी कहते हैं। चेन्नई से करीब 500 किमी दूर स्थित एक छोटा सा शहर है शिवकाशी। यह देश का सबसे बड़ा पटाखा उत्पादन केंद्र है। 90 परसेंट से अधिक पटाखे का व्यापार यहीं से होता है। शहर में करीब 400 से ज्यादा छोटी-बड़ी पटाखा फैक्ट्रियां है, जहां साल में 300 दिन पटाखा बनाने का काम होता है।
कहां से हुई थी शुरुआत
शिवकाशी को पटाखा सिटी बनाने का श्रेय अय्यर नादर और उनके भाई शनमुगा नादर को जाता है। साल 1922 में दोनों भाई पटाखा और माचिस बनाने का तरीका सीखने कोलकाता गए। वापस आने के बाद नादर भाईयों ने शिवकाशी में पटाखा फैक्ट्री का निर्माण किया। उन्होंने उच्च तकनीक की मशीनें लगवाईं और लोगों को पटाखा कैसे बनाते हैं, यह सिखाया। धीरे-धीरे यहां की लगभग आधी आबादी पटाखा निर्माण में जुट गई। आज शिवकाशी में गली-गली में पटाखा निर्माण का काम होता है। शहर की पूरी अर्थव्यवस्था पटाखा व्यापार से ही जुड़ी है। यहां पटाखे का बिजनेस करीब 1000 करोड़ से भी ऊपर है।
खतरा नहीं है कम
जहां हर तरफ पटाखे ही पटाखे नजर आएं, तो वहां खतरा बहुत बड़ा रहता है। शिवकाशी की पटाखा फैक्ट्रियों में करीब 7 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। ये सिर्फ पटाखे ही नहीं मिलिट्री के लिए ट्रेनिंग वीपेंस भी बनाते हैं। बारुद के ढेर में बैठकर काम करने वाले ये मजदूर अपनी जान की परवाह किए बिना काम में लगे रहते हैं। हालांकि कभी-कभी एक गलती से बड़े हादसे हो जाते हैं।
क्यों कहते हैं मिनी जापान
शिवकाशी को मिनी जापान भी कहा जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस शहर को यह नाम दिया था। आपको बता दें कि जापान भी पटाखा निर्माण में काफी संपन्न है। दुनिया का सबसे बड़ा आसमान में फटने वाला पटाखा जापान के एल्प्स फायरवर्क्स ने बनाया है।
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