- अब वीआईपी नंबर के लिए देनी होगी ज्यादा कीमत

- अगले माह से मिलने लगेंगे वीआईपी नंबर

- अभी 343 नंबर शामिल हैं वीआईपी नंबरों में

- नीलामी की प्रक्रिया सात दिनों में होगी पूरी

- ट्रॉयल में एक नंबर के लिए लगी 20 हजार की बोली

- राजधानी में वाहनों के वीआईपी नंबर की नीलामी अगले माह से

- बाराबंकी और राजधानी में जल्द शुरू होगा पाइलट प्रोजेक्ट

LUCKNOW:

वाहनों पर वीआईपी नंबर डलवाना महंगा होगा। मनचाहे नंबर के लिए वाहन स्वामी को अब मोटी कीमत चुकानी होगी। परिवहन विभाग जल्द ही वीआईपी नंबरों की ऑनलाइन नीलामी शुरू करेगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार राजधानी और बाराबंकी में यह व्यवस्था अगले माह शुरू हो जाएगी। इस व्यवस्था के आने बाद पहले आओ और पहले पाओ का नियम खत्म होगा और सबसे अधिक कीमत चुकाओ और मनचाहा नंबर पाओ की शुरुआत होगी। इस व्यवस्था के शुरू से परिवहन विभाग को हर माह मोटा राजस्व मिलने की उम्मीद है।

343 नंबर शामिल हैं वीआईपी नंबरों में

परिवहन विभाग अगले माह से वीवीआईपी नंबरों की बोली की प्रक्रिया शुरू करेगा। अभी वीआईपी नंबर लेने की व्यवस्था ऑनलाइन उपलब्ध है। वीवीआईपी नंबरों में 3000 से लेकर 15000 रुपये में कुल 343 नंबर उपलब्ध हैं। 3000, 6000, 7500 और 15000 में चार श्रेणियों के नंबर लखनऊ आरटीओ से ऑनलाइन बुक किये जाते हैं। 0001 से 0009 नंबर अभी 15000 में मिल जाते हैं। नीलामी में इस सीरीज के नंबरों की सबसे अधिक बोली लगाए जाने के अनुमान है। वाहन खरीदने के सात दिन के अंदर वाहन स्वामी वीआईपी नंबर के लिए आवेदन कर सकता है। यदि नंबर उपलब्ध होगा तो वाहन स्वामी को दिया जाएगा।

सात दिनों की प्रक्रिया

नीलामी प्रक्रिया में सात दिनों में पूरी होगी। पहले 4 दिन नंबर केरजिस्ट्रेशन के लिए होंगे। इसमें आवेदक 5000 जमा कर रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। चार दिन में जितने भी लोग रजिस्ट्रेशन कराएंगे, उनमें पहले तीन आवेदकों को नंबर पाने का मौका दिया जाएगा। पहला आवेदक सबसे अधिक बोली लगाने के बाद नंबर नहीं लेता है तो दूसरे वाले को मौका दिया जाएगा। लेकिन आवेदक को नंबर ना लेने की जानकारी सात दिनों के अंदर देनी होगी नहीं तो आवेदक के रजिस्ट्रेशन वाले 5000 रुपए परिवहन विभाग के खाते में चले जाएंगे। परिवहन विभाग में अब तक नीलामी के लिए चल रहे ट्रायल में एक नंबर के लिए 20000 रुपए तक बोली लगाई जा चुकी है।

कोट

नंबरों के लिए विभागीय ट्रायल चल रहा है। इसमें सामने आई कमियों को दूर किया जा चुका है। जल्द ही पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लखनऊ आरटीओ ऑफिस और बाराबंकी से इसकी शुरुआत होगी। उसके बाद यह प्रक्रिया देश भर में लागू होगी।

पी गुरु प्रसाद

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग