-दो एनेस्थेटिक्स के कंधे पर पूरे बीआरडी की कमान

-प्रिंसिपल के व्यवहार से क्षुब्ध होकर लिया निर्णय

- ऑपरेशन व आईसीयू में इलाज का संकट

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बुधवार की सुबह एनिस्थिसिया डिपार्टमेंट में तैनात छह डॉक्टर्स में से एक साथ चार डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया। जबकि डॉक्टर्स की इस्तीफा की खबर को बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन दबाने में जुटा रहा, लेकिन बात ऊपर तक चली गई। प्राविधिक शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन जब बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 100 बेड वार्ड का निरीक्षण कर रहे थे, उसी दौरान पत्रकारों ने चार डॉक्टर्स के इस्तीफे की जानकारी दी। आशुतोष टंडन ने डॉक्टर्स के इस्तीफे और उनके आरोपों की जानकारी न होने की बात कही।

डॉक्टरों के इस्तीफे से हड़कंप

बुधवार की सुबह एनिस्थिसिया डिपार्टमेंट में तब हड़कंप मच गया जब एक संविदा पर तैनात डॉ। नरेंद्र देव, डॉ। राका रानी, डॉ। प्रियंका और डॉ। परवेज ने एचओडी शहबाज अहमद को अपना इस्तीफा सौंप दिया। डॉ। नरेंद्र देव के मुताबिक इन परिस्थितियों में काम करना संभव नहीं रह गया था। छोटी-छोटी शिकायतों पर बिना हमारा पक्ष सुने कॉलेज प्रशासन कार्रवाई कर रहा था। कॉलेज प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ। यूसी सिंह प्रिंसिपल से अपनी करीबी का धौंस देकर चिकित्सकों एवं जूनियर रेजिडेंट का उत्पीड़न कर रहे थे। डॉ। नरेंद्र देव ने बताया कि विभाग में 15 जेआर हैं। एक इस्तीफा देने वाला हैं। उसके अलावा 14 अन्य जेआर ने मेरे इस्तीफे के साथ लगे एक पेज पर हस्ताक्षर करके डॉ। यूसी सिंह के साथ काम करने में असमर्थता जता दी है। प्रिंसिपल हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। ऐसे में इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इस मामले में डॉ। यूसी सिंह का पक्ष लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं डीजीएमई डॉ। केके गुप्ता ने इसकी कोई जानकारी न होने की बात कही। जबकि मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है।

दो एनेस्थेटिस्ट के भरोसे बीआरडी का इलाज

बीआरडी में चार एनेस्थेटिक्स के इस्तीफा देने के बाद अब गंभीर मरीजों के इलाज का संकट सामने आया है। वर्तमान में सिर्फ एचओडी एनेस्थीसिया डॉ। शहबाज अहमद, डॉ। संतोष कुमार शर्मा के कंधे पर बीआरडी की जिम्मेदारी आ गई है। 7 दिन लगातार चलने वाले इमरजेंसी, ट्रामा सेंटर और आईसीयू को दो डॉक्टर्स कैसे संभाल पाएंगे। यह सवाल बना हुआ है। बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर्र इमरजेंसी, आर्थो, सर्जरी, गायनी, ईएनटी, आई ओटी में ऑपरेशन की जिम्मेदारी है। यहां प्रतिदिन 20 से 25 ऑपरेशन किए जाते हैं। जिसमें एनेस्थीसिया डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में कुल छह एनेस्थेटिक्स कार्य करते हैं। जिन पर एमबीबीएस स्टूडेंट की पढ़ाई के साथ मरीजों के इलाज और प्रशासनिक कार्य की भी जिम्मेदारी है। लेकिन चार एनेस्थीसिया डॉक्टर के इस्तीफा देने की वजह से स्थिति बद से बदतर हो गई है। यदि यहीं स्थिति रही तो बिना इलाज के मरीजों की जान भी जा सकती है।

इन डॉक्टर्स ने दिया इस्तीफा

-डॉ। नरेंद्र देव

-डॉ। प्रियंका

-डॉ। राका रानी

-डॉ। परवेज