- कैंट से एटीएस के हत्थे चढ़े नकली नोटों के सौदागर, पास से मिले दो लाख रुपये के नकली नोट

- बरामद हुए नकली नोट हैं नये लेकिन आरबीआई के पुराने गवर्नर के ही हैं हस्ताक्षर

- रेलवे स्टेशन से राजस्थान-दिल्ली नकली नोट भेजने की थी तैयारी

VARANASI :

क्या आप जानते हैं कि इन दिनों आरबीआई के गवर्नर कौन हैं और नये नोटों पर किसके साइन हैं? आप कहेंगे रघुराम राजन। लेकिन हम आपसे ये कहें कि पाकिस्तान में छप रही इंडियन करेंसी पर आरबीआई के गर्वनर अब भी सुब्बाराव हैं तो.? आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान में कैसे छप रही इंडिया की करेंसी? चौकियें मत। हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान में बैठे आईएसआई की ओर नकली नोटों को इंडिया में भेजे जाने की। नकली नोटों के एक ऐसे ही बड़े रैकेट को बुधवार की सुबह एटीएस (एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड) ने बुधवार को कैंटोन्मेंट इलाके से नकली नोटों संग दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से पांच-पांच सौ के चार सौ नकली नोट बरामद हुए हैं। पकड़े गए तस्कर अरविंद और मनोज जौनपुर के रहने वाले हैं। दोनों तस्कर मालदा से नकली नोट हासिल करने के बाद दिल्ली-राजस्थान के अलावा पूर्वाचल के कुछ जिलों में इसे खपाते थे।

कई दिनों से थी नजर

एटीएस एसपी संतोष कुमार नकली नोट का धंधा करने वाले तस्करों पर कई दिनों से अपनी नजरे गड़ाये हुए थे। इस बीच उनको सूचना मिली कि शहर के रास्ते नकली नोट की खेप दिल्ली-राजस्थान भेजी जा रही है। जिसपर एटीएस की टीम ने जानकारी जुटाई और बुधवार को कैंटोन्मेंट में सुबह-सुबह घेरेबंदी की । इस दौरान टीम को दो युवक तेजी से स्टेशन की तरफ जाते दिखे। गतिविधि संदिग्ध लगने पर एटीएस एसपी संतोष सिंह के निर्देश पर दारोगा अश्वनी चतुर्वेदी के साथ टीम ने दोनों को पकड़ लिया। तलाशी में दोनों के पास से पांच-पांच सौ चार सौ नोट मिले। इन नये नोटों पर एक्स गवर्नर के हस्ताक्षर देखते ही मामला पकड़ में आ गया कि नोट नकली हैं। पकड़े गए तस्करों को कैंट पुलिस के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने दोनों को धारा ब्89 (ख) और ब्89 (ग) की धाराओं में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

जौनपुर निवासी निकला मास्टरमाइंड

एटीएस एसपी संतोष सिंह ने बताया कि नकली नोट का धंधा जौनपुर से संचालित हो रहा था। नकली नोट के साथ गिरफ्तार बिहरोजपुर, जफराबाद जौनपुर निवासी मनोज निषाद इस पूरे धंधे का मास्टरमाइंड है। जबकि उसका साथी अरविंद निवासी सड़ेरी जौनपुर पार्टी को नकली नोट की सप्लाई करने का काम करता है। एटीएस के रडार पर दोनों तस्कर मनोज और अरविंद कई दिनों से थे लेकिन हाथ नहीं लग रहे थे। पूछताछ में पता चला कि मालदा से नकली नोटों की खेप हासिल करने के बाद दोनों बस या ट्रेन से सफर कर बनारस पहुंचते थे। यहां आने के बाद पार्टी से बात कर नकली नोटों की खेप दिल्ली राजस्थान सप्लाई करते थे।

ठगी से की शुरुआत और अब

मनोज ने पूछताछ में बताया कि ख्00म् में वह दिल्ली स्थित एक शैंपू की फैक्टरी में काम करता था। इस दौरान पैसों की तंगी के कारण उसने ठगी शुरू की और कागज का बंडल बनाने के बाद ऊपर और नीचे कुछ असली नोट रखकर ठगी करता रहा। इस दौरान दिल्ली में उसकी मुलाकात वीरेंद्र से हुई। वीरेंद्र के संपर्क में आने के बाद मनोज नकली नोट के धंधे में कूद पड़ा। वीरेंद्र के साथ वह मालदा (पश्चिम बंगाल) में पाकिस्तान से बांग्लादेश के रास्ते नकली नोट की तस्करी करने वालों के साथ जुड़ गया। मनोज ने बताया कि नकली नोट की खरीद-फरोख्त का कारोबार करने वालों से साठगांठ करने के बाद वह जौनपुर चला आया। दिल्ली में रहने के दौरान वीरेंद्र के जरिये उसने दिल्ली, राजस्थान में कई लोगों से संपर्क साधा और मोबाइल के जरिये मनोज नकली नोट के खरीदारों से बात करता रहा। सेटिंग होने के बाद अरविंद के हाथों नकली नोट संबंधित पार्टी के पास पहुंचाता था। बड़ी संख्या में नकली नोट की सप्लाई का ऑर्डर मिलने पर मनोज भी संबंधित पार्टी को नोट पहुंचाने जाता था। एटीएस उसके मोबाइल फोन बुक में मौजूद नंबरों की जांच-पड़ताल में जुट गई है ताकि नकली नोट की खरीदारी कर उसे बाजार में चलाने वाले लोगों तक पहुंच सकें।

आप भी रहें अलर्ट

पुराने गवर्नर वाला नोट हो सकता है नकली

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की निगरानी में तैयार होने वाले नकली नोटों की क्वॉलिटी इतनी अच्छी है कि आम आदमी इसे आसानी से नहीं पहचान सकता। एटीएस एसपी संतोष सिंह ने बताया कि तस्करों के पास से बरामद हुए नोट नये थे लेकिन उनपर एक्स गवर्नर सुब्बाराव के हस्ताक्षर प्रिंट थे जबकि उनका कार्यकाल बीते वर्ष सितंबर में ही समाप्त हो गया था। वर्तमान में रघुराम राजन हैं। पाकिस्तान के पास नकली नोट तैयार करने वाले ब्लॉक में अभी पूर्व गवर्नर ही चल रहे हैं। खास बात यह है कि नकली नोट में असली नोट की तरह बीच में जो हरी-नीली पट्टी पर भारत, आरबीआई अंकित है, उनपर बहुत घिसे-पीटे तरीके से छपा रहता है। ये दो फर्क ही असली-नकली की पहचान कराते हैं। बैंकों में भी नकली नोट वहीं पकड़े जा रहे हैं जहां मशीन लगी हैं।