RANCHI : एम्स की तर्ज पर रिम्स को सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने का सपना देखा जा रहा है। सरकार इसके लिए रेगुलर विजिट भी कर रही है। लेकिन मरीजों को छोटी-छोटी सुविधाएं देने में भी प्रबंधन फेल है। कुछ ऐसी ही हालत रिम्स के रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट की है, जहां मरीजों का टेस्ट करने वाली मैमोग्राफी मशीन एक महीने से खराब पड़ी है। ऐसे में जो टेस्ट रिम्स में फ्री में होता है उसी टेस्ट के लिए प्राइवेट सेंटरों में मरीजों को 1600-2000 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, रिम्स से हर दिन तीन-चार मरीज निराश होकर लौट रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रिम्स प्रबंधन एक मशीन को चालू नहीं करा पा रहा है तो पूरे हॉस्पिटल की व्यवस्था कैसे सुधरेगी?

रिपेयरिंग में खर्च होंगे 28 हजार

रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में लगी मैमोग्राफी मशीन का कार्ड रीडर खराब हो गया है। जिसे बनाने के लिए मेडिसिटी कंपनी के इंजीनियर्स को बुलाया गया था। लेकिन मशीन चालू करने में उन्होंने असमर्थता जताई। साथ ही इंजीनियर्स ने बताया कि इस मशीन को चालू करने के लिए रीडर नया लगाना होगा। वहीं एक एक्सपर्ट ने बताया कि कार्ड रीडर की कीमत 28 हजार रुपए आएगी। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन मशीन को चालू कराने के लिए 28 हजार रुपए खर्च करने को तैयार नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है।

ब्रेस्ट कैंसर की कराते हैं टेस्ट

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में किसी भी तरह के गांठ या लक्षण मिलने पर डॉक्टर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। जहां मैमोग्राफी मशीन से यह पता लगाया जाता है कि महिला को ब्रेस्ट कैंसर है या नहीं। लेकिन रिम्स में मशीन खराब होने की वजह से इसकी सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है। ऐसे में जिनके पास टेस्ट कराने के पैसे हैं वे तो प्राइवेट सेंटरों में टेस्ट करा लेते हैं। लेकिन फ्री टेस्ट के इंतजार में अब भी मरीज सेंटर के चक्कर लगा रहे हैं। जहां उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। बताते चलें कि गायनी ओपीडी में आने वाली महिला मरीजों में तीन-चार को मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है।

7 लाख में नई मैमोग्राफी मशीन

हॉस्पिटल में करोड़ों की मशीनें खरीदकर बेकार पड़ी हैं। कमरे में बंद पड़ी ये मशीनें धूल फांक रही हैं। इसका फायदा भी इलाज के लिए आने वाले मरीजों को नहीं मिल रहा है। फिर भी प्रबंधन ने इन मशीनों के लिए करोड़ों खर्च कर दिए। लेकिन मैमोग्राफी की एक मशीन खरीदने की चिंता प्रबंधन को नहीं है। जबकि मैमोग्राफी के लिए मशीन की कीमत सात-आठ लाख रुपए के बीच है। अगर प्रबंधन एक और मशीन खरीद लेता है तो मरीजों की जांच कभी प्रभावित नहीं होगी।