- भुता के कैलाश नदी के किनारे बसे गजनेरा गांव में आरयू के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग ने साइट की तय

- जनवरी के आखिरी हफ्तेतक साइट पर उत्खनन होगा शुरू, प्रशासन ने दी अनुमति

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पीलीभीत के अभयपुर में 3100 वर्ष पुरानी मानव की एक आदिम प्रजाति के अवशेष तलाशने वाला आरयू का प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग अब भुता में कैलाश नदी किनारे बसे गजनेरा गांव में भी उत्खनन की तैयारी कर रहा है। विभाग को यहां भी पेंटेड ग्रे वेयर कल्चर यानि चित्रित धूसर मृतभांड संस्कृति के प्रमाण मिलने की संभावना है। आरयू के प्राचीन एवं इतिहास विभाग के एचओडी प्रो। श्याम बिहारी लाल के मुताबिक, गजनेरा गांव में उत्खनन के लिए प्रशासन से अनुमति मिल गई है। अब जनवरी के आखिरी हफ्तेतक साइट पर काम भी शुरू कर ि1दया जाएगा।

गजनेरा और अभयपुर में है समानता

आरयू के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग के डॉ। अनूप रंजन मिश्र ने बताया कि भुता के गजनेरा गांव और अभयपुर व गोकुलपुर में बहुत समानताएं हैं। इसलिए, यहां पुरावशेष तलाशने के लिए उत्खनन किया जाएगा। इसके लिए गजनेरा गांव में साइट को पहले ही चिह्नित कर लिया गया था, लेकिन अब इसके अधिकांश भाग में गांव बस गया है। अब जो जमीन खाली पड़ी है, वहीं खोदाई की जाएगी। इस साइट को सुरक्षित भी किया जाएगा ताकि इसको नष्ट होने से बचाया जा सके।

अवशेषों पर होगा रिसर्च

प्राचीन इतिहास विभाग को खोदाई के दौरान यहां जो भी पुरावशेष मिलेंगे, उससे उसके काल क्रम और संस्कृति पर रिसर्च होगा। रिसर्च में प्राचीन लोगों के रहन सहन, खान पान, दिनचार्या, उनके पहनावे और अन्य बातों का भी खुलासा हो सकेगा।

पहले भी मिल चुके हैं प्रमाण

इससे पहले भी विभाग 2001 से 2006 के बीच पीलीभीत के बीसलपुर अभयपुर में खोदाई कर चुका है। यहां विभाग को उत्खनन के दौरान 31 सौ वर्ष पुराने आदिम प्रजाति के अवशेष मिले थे। विभाग के मुताबकि ये अवशेष आठ वर्ष के बच्चे और युवक के थे। इन अवशेषों को विभाग ने रिसर्च करने के बाद उसे आरयू के म्यूजियम में रखवा दिया है। इसके बाद विभाग ने सीबीगंज के गोकुलपुर में 2008 से 2011 तक काम किया। यहां भी कुछ अवशेष मिले थे।

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भुता के गजनेरा गांव में साइट लगाने के लिए प्रशासन से अनुमति मिल गई है। इसी माह के लास्ट वीक तक साइट पर काम भी शुरू करा दिया जाएगा। साइट का निरीक्षण भी किया जा चुका है।

प्रो। श्याम बिहारी लाल, एचओडी प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग