- गोमु2ा के निकट 5ाूस्2ालन की पुष्टि के लिए गुरुवार को हेलीकॉप्टर से लिया गया क्षेत्र का जायजा

- एसडीआरएफ और प्रशासन का दल गोमु2ा के लिए हुआ रवाना, निम के विशेषज्ञ 5ाी साथ में मौजूद

UTTARKASHI: गोमुख के निकट भूस्खलन की सूचना की पुष्टि के लिए गुरुवार को हेलीकॉप्टर से क्षेत्र का जायजा लिया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार वहां ताजा भूस्खलन के निशान नहीं मिले हैं। इसके साथ ही देहरादून से आया एसडीआरएफ का पांच सदस्यीय दल और प्रशासन का आठ सदस्यीय दल भी गोमुख के लिए रवाना हुआ। दल के साथ नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के विशेषज्ञ भी मौजूद हैं।

आईबी से मिली थी भूस्खलन की सूचना

बीते दिनों शासन को इंटेलिजेंस ब्यूरो से सूचना मिली थी कि गोमुख के आसपास कहीं भूस्खलन हुआ है। इस सूचना की पुष्टि के लिए मंगलवार को एक टीम रवाना की गई थी, लेकिन बुधवार को मौसम खराब होने और भारी बर्फबारी के चलते टीम आधे रास्ते से वापस लौट आई थी। इसके अलावा क्षेत्र की रेकी करने के लिए हेलीकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पाया। उलरकाशी के डीएम डॉ। आशीष चौहान ने बताया कि एसडीआरएफ और प्रशासन की टीम को गोमुख रवाना किया गया है। प्रशासन की टीम के साथ नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के विशेषज्ञ भी हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को गई टीम भारी बर्फबारी के कारण आगे नहीं बढ़ पाई थी। अब उनके पास हालात से निपटने के पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी उलरकाशी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि गुरुवार को आपदा प्रबंधन की टीम ने हेलीकॉप्टर से रेकी की। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार वहां ताजा भूस्खलन के निशान नहीं मिले हैं।

ग्लेशियर से ग्लोबल वार्मिंग के संकेत

गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने पर बनी झील को लेकर सरकार की बेरुखी पर उलराखंड हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। बीते रोज हाई कोर्ट ने सरकार को झील को हटाने के आदेश दिए थे। उलराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यकॉस्ट) ने सेटेलाइट पिक्चर के आधार पर झील का अध्ययन किया। अध्ययन में यूकॉस्ट को ग्लोबल वार्मिंग के संकेत मिले हैं। वैज्ञानिकों ने झील की निरंतर मॉनिट¨रग करने को कहा है। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ। राजेंद्र डोभाल के मुताबिक नासा के सेटेलाइट की 11 दिसंबर की हाई रेजोल्यूशन पिक्चर बताती है कि झील का आकार 0.67 हेक्टेयर है और इसमें करीब पांच मीटर गहराई तक पानी भरा हुआ है। इसके बाद कोई पिक्चर सेटेलाइट से प्राप्त नहीं हुई है। वहीं, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के पूर्व में कराए गए अध्ययन में भी यह बात सामने आ चुकी है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर गंगोत्री ग्लेशियर पर पड़ रहा है। अध्ययन में यह बात सामने आई थी कि गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने की दर प्रतिवर्ष 22 मीटर है, जबकि अन्य ग्लेशियर 10 मीटर सालाना की दर से पिघल रहे हैं।

भेड़ पालकों का नहीं चला पता

बकरियों की तलाश में गए मोरी के ढाटमीर गांव के तीन लापता लोगों का गुरुवार को चौथे दिन भी कुछ पता नहीं चल सका। जिला प्रशासन की ओर से लापता लोगों की तलाशी के लिए रेस्क्यू अभियान जारी है। पुरोला उप जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि क्षेत्र में बर्फबारी अधिक होने से रेस्क्यू दल को बचाव कार्य में परेशानी हो रही है। लापता लोगों की तलाश में एसडीआरएफ, पुलिस, राजस्व उपनिरीक्षक की टीम द्वारा रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक टीम को लापता लोगों के कोई संकेत नहीं मिले हैं।