features@inext.co.in

KANPUR: गिरीश कर्नाड का जन्म 1938 में माथेरन में हुआ था, जो अब महाराष्ट्र में है। उनकी शुरुआती पढ़ाई मराठी भाषा में हुई। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव थिएटर की तरफ हो गया। जब वह 14 साल के हुए तो उनका परिवार कर्नाटक में धारवाड़ शिफ्ट हो गया। उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक आट्र्स कॉलेज से गणित और सांख्यिकी में बीए किया। ग्रेजुएशन के बाद वह इंग्लैंड में ऑक्सफर्ड से फिलॉस्फी, पॉलिटिक्स और इकनॉमिक्स की पढ़ाई करने गए। इस दौरान वहï थिएटर से भी जुड़े रहे।

यादों में ताजा रहेंगे उनके ये किरदार

एक था टाइगर

इस फिल्म में गिरीश ने सलमान खान के बॉस और रॉ चीफ शिनॉय का किरदार निभाया था। 5 साल बाद आई इस फिल्म की सीक्वल टाइगर जिंदा है में भी वह नजर आए थे।

गिरीश कर्नाड अपने इन पांच दमदार किरदारों में हमेशा रहेंगे याद,'मालगुड़ी डेज' की थे शान

इकबाल

नागेश कुकुनूर की फिल्म इकबाल में गिरीश ने एक क्रिकेट कोच का रोल करके लोगों को इम्प्रेस किया था। इसमें नसीरुद्दीन शाह ने एक शराबी क्रिकेट कोच का रोल किया था। वहीं श्रेयस तलपड़े ने इसमें एक गूंगे-बहरे लड़के का किरदार निभाया था।

गिरीश कर्नाड अपने इन पांच दमदार किरदारों में हमेशा रहेंगे याद,'मालगुड़ी डेज' की थे शान

नशांत

श्याम बेनेगल की फिल्म निशांत में उन्होंने एक स्कूल मास्टर का किरदार निभाया था, जिसकी पत्नी का गांव के दबंग लोग अपहरण कर लेते हैं। इस फिल्म में उनके साथ शबाना आजमी, अनंत नाग, अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज एक्टर नजर आए थे।

गिरीश कर्नाड अपने इन पांच दमदार किरदारों में हमेशा रहेंगे याद,'मालगुड़ी डेज' की थे शान

डोर

डोर में गिरीश आयशा टाकिया के ससुर बने थे, जो अपने बेटे की मौत के बाद अपनी हवेली बचाने के लिए अपनी विधवा बहू का सौदा करने के लिए तैयार हो जाता है।

गिरीश कर्नाड अपने इन पांच दमदार किरदारों में हमेशा रहेंगे याद,'मालगुड़ी डेज' की थे शान

मालगुड़ी डेज

आरके नारायण की शॉर्ट स्टोरीज पर बेस्ड इंडियन टेलीविजन के इतिहास के सबसे फेमस इस शो में गिरीश ने 'स्वामीÓ के फादर का रोल किया था। उनका रोल और इस शो के किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं।

गिरीश कर्नाड का 81 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार

सुष्मिता सेन के भाई राजीव ने इस टीवी एक्ट्रेस संग की कोर्ट मैरिज, देखें तस्वीरें

कई बड़े अवॉड्र्स किए अपने नाम

उन्होंने 1970 में कन्नड़ फिल्म संस्कार से बतौर स्क्रिप्टराइटर अपने करियर की शुरुआत की। कर्नाड ने साउथ और हिंदी फिल्मों में काम किया था। उन्होंने यताति, तुगलक, हयवदना, अंजु मल्लिगे, अग्निमतु माले, नगा मंडला और अग्नि और बरखा जैसे कई फेमस नाटक भी लिखे थे। पद्म श्री और पद्म भूषण के अलावा 1972 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी, 1994 में साहित्य अकादमी, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। कन्नड़ फिल्म संस्कार के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था। उन्हें 4 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले थे। उन्होंने मालगुड़ी डेज और टर्निंग प्वॉइंट्स जैसे शोज के जरिए टीवी पर भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 1974-75 में एफटीआईआई, पुणे के डायरेक्टर का पद भी संभाला था।

Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk