गूगल की ‘सर्च प्लस योर वर्ल्ड’ फ़ीचर गूगल प्लस से जानकारियां उठाकर खोज के नतीजे पेश करेगा.इस खबर पर ट्विटर के क़ानूनी सलाहकार एलेक्स मैकगिलिव्रे ने ट्वीट करके प्रतिक्रिया दी जिसमे उन्होंने कहा, “ये इंटरनेट के लिए एक बुरा दिन है.”

प्रतिद्वंदी फ़ेसबुक से मुक़ाबला करने के लिए गूगल अपने सोशल नेटवर्किंग सर्विस को आगे बढ़ाने का पुरज़ोर प्रयास कर रहा है। गूगल के अनुसार ताज़ा बदलाव बेहतर व्यक्तिगत सेवा देने के लिए किया गया है। ग़ौरतलब है कि गूगल में व्यक्तिगत सर्च इतिहास का फ़ीचर पहले ही मौजूद है।

कंपनी के अधिकृत ब्लॉग पर अमित सिंघल ने कहा, “करोड़ों वेबसाइटों, तस्वीरों, खबरों और वीडियो के बीच ये सेवा भूसे में से सुई निकालने जितना बेहतरीन काम करता है.”

उन्होंने आगे कहा, “लेकिन ये काफ़ी नही है। आपको ऑनलाइन रखी हुई आपकी चीजें, संबंधित लोगों की शेयर की हुई जानकारियां सहित नए लोगों की जानकारियों को ढूंढ पाने की सहूलियत एक ही सर्च बक्से में होनी चाहिए.”

अपने आधिकारिक बयान में ट्विटर ने कहा, “इंटरनेट पर कुछ भी खोजने के लिए लोग सालों से गूगल पर भरोसा करते आए है। अक्सर लोग दुनिया में चल रही गतिविधियों और खबरों के बारे में और ज्यादा जानना चाहते है। ट्विटर इस प्रकार की जानकारियों के लिए एक अहम स्रोत है। इसके दस करोड़ से ज़्यादा यूज़र्स रोज़ाना 25 करोड़ ट्विट करते है। हमने अक्सर देखा है कि खबरें ट्विटर पर भी ब्रेक होती है, लिहाज़ा ट्विटर यूज़र्स के पन्नों से ज़रूरी जानकारियां मिलती है.”

ट्विटर ने आगे कहा, “हमे चिंता है कि गूगल में किए गए बदलाव से लोगों को ट्विटर की जानकारियां ढूंढ पाने में कठिनाई होगी। हमे लगता है कि ये लोगों, प्रकाशनों, समाचार संस्थानों और ट्विटर यूज़र्स के लिए बुरा है.”

गूगल की प्रतिक्रिया

इस मामले पर सफ़ाई देते हुए गूगल ने कहा, “नए फ़ीचर पर ट्विटर के इस तरह की प्रतिक्रिया से हम अचंभित है क्योंकि, ट्विटर ने हमारे साथ क़रार का नवीनीकरण नही किया था, तभी से हम उनके ‘नो फॉलो’ हिदायत का अनुसरण कर रहे हैं.”

तकनीकी फ़ीचर ‘नो फॉलो’ का मतलब होता है कि इंटरनेट पर मौजूद किसी भी पन्ने पर इसके लगे होने से गूगल उस पन्ने में मौजूद लिंक्स को अपने सर्च सर्विस में शामिल नही करता है। गूगल और प्रतिद्वंदी फ़ेसबुक के बीच भी यूज़र जानकारियों का आदान-प्रदान कम ही है।

सर्च विशेषज्ञ जॉन बैटेल ने अपने ब्लॉग पर कहा है कि सोशल सर्च का दायरा सीमित ही रहेगा जब तक की फ़ेसबुक और गूगल आपसी मतभेद मिटा कर एकीकृत सर्च सेवा नही देते।

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