-ऑनलाइन होने के बाद करीब पांच लाख पुराने रजिस्ट्री को नहीं किया जा सका है डिजिटलाइज

-डिजिटलाइज की कवायद के लिए रजिस्ट्री डिपार्टमेंट के जिम्मेदार अफसरों को शासन के निर्देश का इंतजार

GORAKHPUR: चाहे जमीन का फर्जी ढंग से बैनामा हो या फिर फर्जी ढंग से रजिस्ट्री का मामला हो। इन फर्जीवाड़े पर लगाम कसने की कवायद फिलहाल फेल होती नजर आ आ रही है। इसी का नतीजा है कि आज भी गोरखपुर की पांच लाख रजिस्ट्री ऑनलाइन नहीं हो सकी है। जबकि, 2017 के बाद होने वाले सभी ऑनलाइन रजिस्ट्री को डिजिटलाइज किया जा चुका है।

2017 में शुरू हुई ऑनलाइन रजिस्ट्री

रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा और लोगों की आसानी के लिए 2017 में ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू की गई। 2017 से जितनी भी जमीनों की रजिस्ट्री हुईं, वे सभी डिजिटल हो गईं। लेकिन 30 साल पुराने रजिस्ट्री को डिजिटलाइज करने की कवायद आज भी पूरी नहीं की जा सकी है। 2016 में डिजिटलाइजेशन रजिस्ट्री के लिए स्टेट लेवल पर टेंडर हुआ था। टेंडर होने के बाद पुरानी रजिस्ट्री के पुराने दस्तावेज को डिजिटल मोड में लाया जाना था।

नहीं हो सकी ऑनलाइन संपत्ति

यहीं नहीं अभी तक रजिस्ट्री के दस्तावेज तो ऑनलाइन हो नहीं सके। लेकिन ऑनलाइन सेवा से लोगों को संपित्तयों की रजिस्ट्री कराने के लिए अभी भी इधर-उधर भटकना पड़ता है। ऑनलाइन संपत्तियों का पूरा ब्यौरा दर्ज करने के लोगों को इस बात का भी पता लगाने के लिए कचहरी में चक्कर लगाना पड़ता है कि उनके संपत्ति का कितना स्टांप लगेगा और कुल कितनी फीस होगी। जबकि इसकी सुविधा होनी चाहिए।

कॉलिंग

जितने भी रजिस्ट्री पहले की हैं, उन्हें डिजिटल होना चाहिए। जब ऑनलाइन रजिस्ट्री शुरू हो चुकी है तो फिर इसमें देरी होनी ही नहीं चाहिए। इससे ट्रांसपैरेंसी आएगी। हमारा आज तक नहीं हुआ है।

अनंत पांडेय, शिक्षक

रजिस्ट्री को डिजिटल होना चाहिए, इसके लिए जिम्मेदार अफसर को एनआईसी के वेबसाइट पर भी इसे लिंक कराना चाहिए। ताकि घर बैठे लोग अपने संपत्ति के बारे में जानकारी कर सके। अभी तक कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, हुआ नहीं।

आरके त्रिपाठी, एडवोकेट

वर्जन

रजिस्ट्री डिजीटलाइजेशन को लेकर कवायद चल रही है। बहुत जल्द डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

विधान जायसवाल, एडीएम (एफआर)