- बस के भीतर रात गुजारने की झेल रहे मजबूरी

- नए डिपो के निर्माण की आस में नहीं मिलती सुविधाएं

GORAKHPUR: मैनपुरी में तेज रफ्तार बस के ड्राइवर को झपकी आने से 17 लोगों की जान चली गई। जयपुर से फर्रुखाबाद जा रही बस के इटावा रोड पर कीरतपुर गांव के पास डिवाइडर से टकराकर पलटने से हादसा हुआ। इस हादसे के बाद सामने आया कि बसों के ड्राइवर काम के बोझ तले दबे हुए हैं। खासकर यूपी रोडवेज की बसें चलाने वाले ड्राइवर जिनको गोरखपुर डिपो में आराम करने के लिए सुविधाएं नहीं मिल पातीं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गुरुवार को जब रिटायरिंग रूम का जायजा लिया तो चौंकाने वाली बातें सामने आई।

बसों में करते रेस्ट, मच्छर छीनते चैन

शहर के भीतर यूपी रोडवेज के दो डिपो रेलवे बस स्टेशन और राप्ती नगर बस डिपो हैं। राप्ती नगर बस डिपो पर नए बस अड्डे का निर्माण चल रहा है। रेलवे स्टेशन स्थित जर्जर हाल बस डिपो से संचालन होता है। इस डिपो से लखनऊ, दिल्ली, कानपुर, आगरा सहित कई प्रमुख शहरों के लिए बसें संचालित होती हैं। रोजाना कम से कम 50 बसें आवागमन करती हैं। इन बसों पर तैनात कर्मचारियों के डिपो पर पहुंचने पर कोई सुविधा नहीं मिलती। रिटायरिंग रूम के अभाव में सभी ड्राइवर आराम करने के लिए भटकते रहते हैं। कुछ ड्राइवर और कंडक्टर बसों में किसी तरह से नींद पूरी करते हैं। हालांकि मच्छरों की वजह से उनको भी पूरा आराम नहीं मिलता। इसलिए बस चलाते समय अक्सर उनको झपकी आ जाती है।

जर्जर रिटायरिंग रूम, भर जाता है पानी

गोरखपुर डिपो में ड्राइवर के आराम करने के लिए कोई निर्धारित जगह नहीं है। वर्कशॉप के भीतर बसों की धुलाई वाली जगह पर कई साल पुराना जर्जर कमरा है। उसी कमरे में अपना बॉक्स रखकर ड्राइवर आराम करते थे। बुधवार की रात हुई बारिश से कमरे में पूरा पानी भर गया है। गुरुवार को ड्राइवर इधर-उधर भटकते नजर आए। ड्राइवरों से जब बात की गई तो उनका दर्द छलक पड़ा। खुद को छोटा कर्मचारी बताते हुए नाम न छापने की शर्त पर ड्राइवरों ने कहा कि उनकी सुधि कोई लेने वाला नहीं है। यहां पर डिपो में ऐसा इंतजाम नहीं जहां कोई ड्राइवर ठीक से आराम कर सके। कुछ लोग डिपो कार्यालय के आसपास खाली कमरों और गैलरी में आराम करते हैं। ज्यादातर बस ड्राइवर अपनी-अपनी बसों में ही नींद पूरी करते हैं। ड्राइवर के लिए किसी तरह की बुनियादी सुविधा नहीं है। ड्राइवरों का कहना है कि रीजन के अन्य बस डिपो की भी यही हालत है।

दो साल पहले बंटे थे थर्मस

रोडवेज बसों के ड्राइवर को नींद से बचाने के लिए दो साल पहले थर्मस बांटे गए थे। गोरखपुर डिपो के बस ड्राइवर्स को थर्मस दिए गए थे। ड्राइवर्स का कहना है कि इसका भी कोरम पूरा किया गया था। चंद ड्राइवर्स को ही थर्मस दिए गए। लेकिन जो थर्मस बांटे गए थे वह भी धीरे-धीरे लापता हो गए। इसलिए रात के सफर में निकलने वाले ड्राइवर तभी चाय पी पाते हैं जब बसें किसी स्टॉपेज पर रुकती हैं। इस दौरान उनको रास्ते में कई बार नींद का सामना कर पड़ जाता है। ऐसे में कभी भी कोई घटना घट सकती है।

फैक्ट फाइल

गोरखपुर डिपो में कुल बसें 98

गोरखपुर डिपो में नियमित ड्राइवर 86

गोरखपुर डिपो में संविदा के ड्राइवर 108

रोजाना बस चलाने का टारगेट - 300 किलोमीटर

हर बस में तैनात कर्मचारी- 1 ड्राइवर और 1 कंडक्टर

वर्जन

नए बस डिपो के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। नए बस डिपो में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद रहेंगी। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसलिए समय-समय पर जांच पड़ताल सहित अन्य अहतियाती कदम उठाए जाते हैं।

- डीबी सिंह, आरएम, यूपी रोडवेज, गोरखपुर