- शहर में बिजली की प्रॉब्लम हुई शुरू

- लो वोल्टेज से एसी, कूलर हो रहे खराब

GORAKHPUR: शहर की बिजली व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है। हर साल करीब 25 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद प्रॉब्लम दूर नहीं हो सकी है। गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली के लो वोल्टेज की प्रॉब्लम शुरू हो गई है। कंट्रोल सिस्टम से 24 घंटे की सप्लाई उपभोक्ताओं के लिए बेमतलब साबित होने लगी है। शहर के ज्यादातर मोहल्लों में लो वोल्टेज की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है। एक पखवारे में आधा दर्जन ट्रांसफार्मर दग चुके हैं। आए दिन जर्जर खंभा, तार टूटने, विद्युत ओवरलोड से केबल दगने का झंझट बना हुआ है। बिजली अधिकारियों का कहना है कि गर्मी बढ़ने से थोड़ी खपत बढ़ी है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर जगह लो-वोल्टेज की प्रॉब्लम होने लगी हो।

10 साल में फुंक गए सवा तीन अरब

शहर में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए लगातार काम चल रहा है। बिजली विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि 10 साल के भीतर करीब सवा तीन अरब का बजट खर्च हो चुका है। पावर कॉरपोरेशन की ओर से वर्ष 2007 में बिजनेस प्लान तैयार किया गया था। हर साल करीब 25 करोड़ रुपए का बजट भी व्यवस्था बदलने के लिए दिया जा रहा है। जर्जर सिस्टम की व्यवसथा दुरुस्त करने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए बर्बाद हो रहे हैं। प्रदेश सरकार की योजना में वर्ष 2011 से हर साल बिजली सुधार के लिए बजट मिल रहा है।

ठेकेदारों की मनमानी झेल रही पब्लिक

बिजली विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि जितना बजट मिलता है। उतने में काफी काम हो सकता है। लेकिन चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने के बाद कोई अधिकारी काम की जांच करने नहीं जाता है। ठेकेदारों ने कितने सामान का कहां इस्तेमाल किया। कितना काम हुआ और कितना बाकी रह गया। इसकी जांच पड़ताल पूरी हुए बिना ही नई फर्म को काम दे दिया जाता है। शहर में व्यवस्था बदलने के लिए स्काडा योजना के तहत काम करने के लिए 88 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट शुरू कराया गया था। लेकिन बाद में स्काडा योजना में ठेकेदारों की लापरवाही, पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों की मनमानी से सौ से अधिक तरह की खामियां सामने आई।

इन योजनाओं में मिला बजट

योजना कुल बजट

बिजनेस प्लान 200 करोड़

व्यापार विकास निधि 100 करोड़

स्काडा योजना 88 करोड़

शहर में बिजली का यह हालत

- गर्मी बढ़ने के लो वोल्टेज की प्रॉब्लम होने लगी है।

- रोजाना किसी न किसी मोहल्ले में लोकल फॉल्ट होता है।

- जंफर कटने, तार टूटने, खंभों के टूटने से समस्या होती है।

- ओवरलोडिंग से केबल ब्रस्ट हो जा रहे हैं। कई जगहों पर शिकायत।

बॉक्स

सिर्फ दो प्रतिशत थमा लाइनलास

करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर में बिजली चोरी नहीं थम सकी है। तमाम कवायदों के बावजूद लाइनलास नहीं रोका जा सका है। एक साल के भीतर सिर्फ दो फीसदी लाइनलास ही रोका जा सका है। बिजली विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से बिजली चोरी होती है। इस चोरी को बाद में लाइनलास में जोड़ दिया जाता है। अधिकारियों का कहना है कि शहर में बिजली चोरी रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। उपभोक्ताओं का सारा रिकॉर्ड अपडेट किया जा रहा है ताकि लाइनलास को कम किया जा सके।

शहर में बिजली का लाइनलास

वर्ष प्राप्त उर्जा उर्जा विक्रय नुकसान नुकसान प्रतिशत

2018 978.339 808.984 169.355 17.31

2017 926.298 746.675 179.623 19.39

इन मोहल्लों में लो वोल्टेज

मोहद्दीपुर, कूड़ाघाट, विकास नगर, आवास विकास कॉलोनी, राप्ती नगर, बरगदवां, अबू बाजार-ऊंचवा, तुर्कमानपुर, तिवारीपुर, अंधियारीबाग, सूबा बाजार, रानीबाग, बड़गो, आजाद चौक सहित कई दो दर्जन से अधिक मोहल्लों में लो वोल्टेज की प्रॉब्लम बनी हुई है। लो वोल्टेज से इनवर्टर, पंखा, कूलर और एसी खराब हो जा रहा है। बिजली की समस्या की वजह से बिजली मिस्त्री की डिमांड बढ़ गई है।

वर्जन

बिजली व्यवस्था को सुधारने का काम चल रहा है। गर्मी में लोड बढ़ने से लो वोल्टेज की प्रॉब्लम आ सकती है। इस समस्या के सुधार के लिए क्षमता बढ़ाई जा रही है। काम पूरा होने पर इन सभी समस्याओं से निजात मिल जाएगी।

- एके सिंह, एसई, विद्युत नगरीय वितरण मंडल