कानपुर। 12 फरवरी 1949 को मैसूर में जन्में गुंडप्पा विश्वनाथ भारत के दाएं हाथ के बल्लेबाज रहे हैं। 14 साल लंबे करियर में विश्वनाथ ने भारत के लिए कई यादगार पारियां खेलीं। इनकी बल्लेबाजी की खासियत थी जब-जब विश्वनाथ के बल्ले से शतक निकला, भारत वो टेस्ट मैच नहीं हारा।  70-80 के दशक में गुंडप्पा उन चुनिंदा बल्लेबाजों में से एक रहे जिनका बल्लेबाजी औसत 40+था। तेज गेंदबाज हों या स्पिनर, विश्वनाथ अपनी कलाई घुमाकर फील्डरों के बीच से शाॅट निकाल देते थे।

डेब्यू टेस्ट में जीरो और शतक

गुंडप्पा विश्वनाथ ने साल 1969 में इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था। क्रिकइन्फो पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, विश्वनाथ ने पहला टेस्ट मैच ऑस्टेलिया के खिलाफ कानपुर में खेला। पहली पारी में विश्वनाथ के बल्ले से एक भी रन नहीं निकला। वह जीरो पर आउट हो गए, मगर दूसरी इनिंग में उन्होंने इतिहास रचा और शानदार शतक लगाया। इस पारी में विश्वनाथ ने 137 रन बनाए जिसमें 25 चौके शामिल थे। बताते चलें विश्वनाथ दुनिया के उन तीन क्रिकेटरों में शामिल हैं जिन्होंने डेब्यू टेस्ट में जीरो और शतक बनाया है। विश्वनाथ के अलावा एंड्रयू हडसन और मोहम्मद वसीम ने यह कारनामा किया।

आज ही पैदा हुआ था वो बल्लेबाज,जिसके शतक लगाने पर कभी नहीं हारा भारत

शतक लगाने पर नहीं हारता था भारत

भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार रहे गुंडप्पा के बारे में कहा जाता है कि जब-जब वह टेस्ट शतक लगाते थे, भारत मैच नहीं हारता था। इस बात का प्रमाण हैं उनके ये आंकड़े। क्रिकइन्फो पर मौजूद डेटा के मुताबिक, विश्वनाथ ने अपने टेस्ट करियर में कुल 14 शतक लगाए इसमें तीन बार भारत को जीत मिली और बाकी मैच ड्राॅ रहे।

पूरे करियर में लगाए सिर्फ 6 छक्के

विश्वनाथ का टेस्ट करियर काफी बेहतरीन है। 14 साल लंबे करियर में इन्होंने कुल 91 टेस्ट खेले जिसमें 41.93 की औसत से कुल 6080 रन बनाए। इसमें 14 शतक और 35 अर्धशतक भी शामिल हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गुंडप्पा ने पूरे करियर में सिर्फ छह छक्के लगाए। वनडे की बात करें तो इनके नाम 25 मैचों में 439 रन दर्ज हैं इसमें दो अर्धशतक शामिल हैं।

टीम इंडिया के रहे कप्तान

गुंडप्पा को मुश्किल विकेटों का बल्लेबाज भी माना जाता रहा है। इन्होंने भारत के लिए कम समय 1979-80 में दो टेस्ट मैचों में कप्तानी की। जिसमें पहला टेस्ट ड्रा हो गया था और दूसरा मैच इंग्लैंड के खिलाफ गोल्डन जुबिली टेस्ट के तौर पर खेला गया था। जिसमें भारत को हार झेलनी पड़ी थी।

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गावस्कर के जीजा हैं विश्वनाथ

गुंडप्पा विश्वनाथ और सुनील गावस्कर की दोस्ती काफी फेमस है। दोनों मैदान पर एक साथ खेलते थे। एक वक्त तो ऐसा आया जब कोई विश्वनाथ को गावस्कर से अच्छा बल्लेबाज मानता था तो किसी की नजर में सनी विश्वनाथ से बेहतर थे। हालांकि इन सब बातों से दोनों के रिश्ते में खटास नहीं पड़ी। सिर्फ मैदान तक ही नहीं इनके बीच पारिवारिक संबंध भी बने। आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्वनाथ, गावस्कर के जीजा हैं। गुंडप्पा ने सुनील की बहन कविता से शादी की है।

आईसीसी रेफरी भी रहे

विश्वनाथ को 2009 का सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। सन्यास के बाद भी ये आईसीसी रेफरी, भारतीय टीम के राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष, इंडियन क्रिकेट टीम के मैनेजर व राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोच के रूप जुड़े रहे।

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