-एमडीआर टीबी से पीडि़त मरीजों को अब दो साल तक नहीं खानी होगी दवा
-टीबी विभाग इस बीमारी के इलाज के लिए नई दवा बेडाक्विलिन जल्द करेगा लांच
गंभीर रूप से टीबी के शिकार मरीजों के लिए राहत की खबर है। अब मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर टीबी) से पीडि़त मरीजों को लगातार दो साल तक दवा खाने की जरूरत नहीं होगी। स्टेट टीबी डिपार्टमेंट एमडीआर टीबी के मरीजों के लिए नई दवा बेडाक्विलिन लांच करने जा रहा है। जिसके बाद एमडीआर टीबी के मरीजों को सिर्फ 9-12 माह तक ही दवा लेना होगा। इसमें खास ये होगा कि मरीजों को यह दवा उनकी ईजीसी रिपोर्ट देखने के बाद दी जाएगी। यही नहीं इससे इलाज की पूरी गारंटी भी मिलेगी। वैसे तो मार्केट में इस दवा की कीमत करीब 4200 रुपये है। लेकिन सरकार की ओर से इसे मरीजों को फ्री दिया जाएगा।
सिर्फ 5 माह देना होगा बेडाक्विलिन
अधिकारियों की मानें तो जिले में एमडीआर टीबी के मरीजों में अब तक एमडीआर की छह दवाएं दो साल तक चलाई जाती हैं। बेडाक्विलिन जुड़ने के बाद ये सातवीं दवा होगी। यह एक तरह की बैक्टीरियोसाइडल होती है, जो टीबी के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है। इस दवा को केवल शुरुआती पांच माह तक लेना होता है। जिसके बाद दवा कोर्स की अवधि दो साल से घटकर 9-12 माह हो जाएगी। इस दवा को लांच करने के लिए तैयारियां चल रही हैं। उम्मीद है बहुत जल्द बनारस के मरीजों को इस नए दवा का लाभ मिलने लगेगा।
ईजीसी रिपोर्ट के बगैर नहीं दवा
अधिकारियों का कहना है कि एमडीआर टीबी के मरीजों के लिए लांच होने वाले बेडाक्विलिन में कार्डियो टक्सीसिटी ज्यादा है। इसलिए इसे बिना ईजीसी रिपोर्ट के मरीजों को नहीं दिया जा सकता है।
क्या है एमडीआर?
जिन मरीजों में टीबी की प्राथमिक दवा का असर नहीं होता है। इस कंडीशन को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस या एमडीआर कहते हैं। भारत में 84,000 एमडीआर के रोगी हैं लेकिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है और यह चिंता का कारण है।
क्या है एक्सडीआर?
एक्सडीआर यानि एक्स्टेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट टीबी एमडीआर का ही खतरनाक रूप है। इसमें एमडीआर में दी जाने वाली दवा भी कारगर नहीं होती। ऐसे में बहुत अधिक पावर वाली दवा देनी पड़ती है जिसका मरीज के अंगों पर गंभीर असर होता है।
टीबी रोकथाम के लिए व्यवस्था
मंडलीय हॉस्पिटल में डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर के अलावा 15 टीबी सेंटर हैं। जिनमें से 8 रूरल व 7 सिटी एरिया में हैं। इन सेंटर्स पर जांच के साथ परामर्श, दवा व इलाज की सुविधा उपलब्ध है। डिस्ट्रिक्ट में 45 डीएमसी हैं जहां बलगम जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही 600 से अधिक डॉट्स प्रोवाइडर हैं जो पेशेंट को उनके घर तक जाकर अपनी देखरेख में दवा की खुराक देते हैं।
एक नजर
4000
से अधिक हैं डिस्ट्रिक्ट में टीबी रोगी
162
से अधिक हैं एमडीआर पेशेंट
40
डीएमसी सेंटर हैं संचालित
500
हैं डॉट्स सेंटर
10
एनजीओ भी कर रहे हैं काम
वर्जन
नई दवा को लांच करने के लिए शीर्ष स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। फिलहाल अभी कोई सर्कुलर जारी नहीं हुआ है। उम्मीद है कि अगले माह तक लांच हो जाएगी।
डॉ। बीके सिंह, प्रभारी टीबी रोग विभाग