वन बार वन वोट पर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को प्रोफार्मा में बदलाव का निर्देश

दूसरे बार की सदस्यता त्यागने की शर्त हटायी जाएगी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वन बार वन वोट के मुद्दे पर बार एसोसिएशन द्वारा भराए जा रहे फार्म में संशोधन कर 10 दिन में फार्म दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रोफार्मा में यह शर्त लगाई थी कि दूसरी बार के सदस्य हैं तो त्यागपत्र देकर घोषणा करें कि वह हाई कोर्ट बार के सदस्य के रूप में यहीं वोट डालेंगे। इस पर अधिवक्ताओं ने आपत्ति की थी। कोर्ट का कहना है कि याचिका पर उद्देश्य एक ही बार में वोट डालने की ही छूट देना है। कोई भी सदस्य यदि दूसरी बार में वोट डालता है तो उसे इस बार में वोट न देने दिया जाए। याचिका की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी। यह आदेश जस्टिस अरुण टण्डन तथा जस्टिस ऋतु राज अवस्थी की खण्डपीठ ने घनश्याम दूबे की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी सिंह ने बहस की।

क्यों आया था यह नियम

हाई कोर्ट बार के चुनाव में जिला कचहरी व अन्य बार संगठनों के सदस्य भी वोट डालते हैं

बाहरी वोट पर नान प्रैक्टिसिंग अधिवक्ता बार के पदाधिकारी हो जाते हैं

जिन्हें बार व वकीलों की दिक्कतों से कोई सरोकार नहीं होता

हाई कोर्ट बार ने चुनाव में बाहरी लोगों का दखल रोकने के लिए प्रोफॉर्मा में संशोधन किया था

बार सदस्यों से इस आशय का फार्म भरा कर जमा करने का आदेश दिया था कि वे केवल एक बार में ही वोट डालेंगे

प्रोफार्मा में दूसरे बार की सदस्यता त्यागने की शर्त लगाई गई थी

इसे कोर्ट ने संशोधित करने को कहा है