कोर्ट ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 42 का उल्लंघन है मानदेय न देना

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी टीचर अथवा कर्मचारी भले ही वह अस्थाई अथवा मानदेय पर काम कर रही हो, वह प्रसूतावकाश (मैटरनिटी लीव) पाने की हकदार है। कोर्ट ने कहा कि अस्थाई टीचर बताकर शिक्षा मित्र को प्रसूतावकाश देने से मना अथवा संविधान के अनुच्छेद 42 का उल्लंघन है।

एबीएसए के आदेश को चुनौती

यह आदेश जस्टिस प्रकाश पाडि़या ने प्राथमिक विद्यालय सिमरही, विकास खंड, नगरा बलिया में पढ़ा रही शिक्षा मित्र मनीषा सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका दायर कर शिक्षिका ने खंड शिक्षा अधिकारी, नगरा, बलिया के 27 दिसम्बर 18 के उस आदेश को चुनौती दी है। जिसके द्वारा याची को 6 माह का प्रसूतावकाश देने से यह कहते हुए मना कर दिया है कि वह मानदेय पर कार्यरत है। इस कारण अन्य टीचरों की भांति उसे इस प्रकार का अवकाश नहीं दिया जा सकता।

दो दिन में उपलब्ध कराएं जानकारी

कोर्ट ने इस मामले में दो दिन का समय विपक्षी अधिकारियों को कोर्ट को जरूरी जानकारी उपलब्ध कराने को दिया है तथा कहा है कि वह इस केस की सुनवाई 28 जनवरी 19 को करेंगे। अदालत ने अपने आदेश के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट व लखनऊ बेंच के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि मानदेय टीचरों को प्रसूतावकाश न देना अवैध व मनमानीपूर्ण आदेश है। इस प्रकार का आदेश अनुच्छेद 42 के विपरीत है।