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PRAYAGRAJ: केंद्रीय कारागार नैनी में गठित विशेष कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश चंद्र द्वारा अयोध्या में हुए राम जन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले की सुनवाई के बाद आज ऐतिहासिक फैसला आने की पूरी संभावना है. अभियोजन की ओर से नियुक्त जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने सरकार का पक्ष मजबूती से रखने का प्रयास किया. वहीं आतंकवादियों के अधिवक्ता आरिफ अली व शमशुल हसन ने आरोपितों को निर्दोष करार साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया.

2005 में हुआ था हमला
अयोध्या में राम जन्म भूमि परिसर में पांच जुलाई 2005 को बाबरी विध्वंस का बदला लेने की नीयत से रामलला परिसर में हमला किया गया. इस दौरान एके 45, चाइनीज पिस्टर, राकेट लांचर, ग्रेनेड से लैस आतंकियों ने रामलला जन्म स्थल का विध्वंस करने की कोशिश की. हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी और सात लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

खास बातें

- 400 तारीखें लगीं मुकदमे की सुनवाई में लगभग

- 19 अक्टूबर 06 को फैजाबाद सेशन जज ने आरोप तय किया.

- 08 दिसंबर 06 के तहत मुकदमा इलाहाबाद में ट्रांसफर होकर आया.

- 05 आतंकवादियों की मौत हो गई थी हमले के दौरान. इनके खिलाफ कायम मुकदमे में क्लीन चिट दी गई.

- 157/05 अपराध संख्या का ट्रायल किया गया मुकदमे के दौरान.

- 57 गवाहों की पेशी अभियोजन पक्ष से हुई पूर्व में मात्र. बाद में कोर्ट के आदेश पर छह गवाह पुन: पेश हुए.

- 259 प्रश्न सुनिश्चित किया सुनवाई कोर्ट ने सफाई साक्ष्य में अभियुक्तों को जवाब पेश करने के लिए.

इन आतंकियों पर फैसला

- मो. अजीज

- नसीम

- मो. शकील

- आशिक इकबाल उर्फ फारुक

- डॉ. इरफान

14 साल का अजीब संयोग
रामायण व रामचरित मानस में रचित है कि रामलला को चौदह साल का वनवास हुआ था. इस बीच उन्होंने तमाम राक्षसों को मारकर जनता का उद्धार किया. रामलला के जन्म भूमि परिसर में आतंकवादियों द्वारा किए गए विस्फोट के मामले की सुनवाई में भी चौदह साल लगे. यह भी एक अजीब संयोग रहा है.