महंगाई डायन की नजरें एक बार फिर से आम आदमी की थाली पर इनायत हुई है. असर ये कि दाल की कटोरी छोटी और थाली से सब्जी गायब है. दाल से लेकर सब्जियों के रेट में इजाफा हुआ है. अरहर और उड़द की दाल के रेट तो सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. कुल मिलाकर कहें तो आम आदमी की पहले से झुकी कमर को महंगाई की मार ने और भी झुका दिया है. पर जीने के लिए खाने की मजबूरी के चलते आम आदमी सब कुछ सहने को मजबूर है.

महंगाई के असर से थाली से दाल गायब और सब्जियों का भी पैदा हुआ है संकट

अरहर के दाल में रिकॉर्डतोड़ तेजी, उड़द ने भरी उड़ान

सब्जियों में भी लगी आग, आलू से लेकर टमाटर तक सभी के रेट भागे

varanasi@inext.co.in

VARANASI: लंका की रहने वाली श्रीमती मिश्रा इन दिनों खासी परेशान चल रही हैं. उनके परिवार को अरहर की दाल पसंद है पर वे अरहर की दाल हफ्ते में दो बार ही बना रहीं है. उनका कहना है कि अरहर के दाल में आग लगी है. सब्जियों का खर्च भी आसमान छू रहा है. रसोई का खर्च तो मुझे मैनेज करना है. चिंटू के पापा तो फिक्स पैसे ही खर्च के लिए देते हैं. उनमें महीने भर का राशन का इंतजाम करना पड़ता है. यह सिर्फ किसी एक श्रीमती मिश्रा की ही नहीं हर घर की कहानी बन चुकी है. महंगाई डायन लोगों की थाली साफ कर दे रही है. दाल से लेकर सब्जियों तक सभी के रेट बढ़े हुए हैं.

दाल से सब बेहाल

इन दिनों अगर किसी चीज में सबसे अधिक आग लगी है तो वह है अरहर और उड़द की दाल में. तकरीबन एक महीने पहले तक 80-90 रुपये बिकने वाली अरहर दाल दिनों ख्0 से ख्भ् रुपये प्रति किलो तक बढ़ के क्क्0 से क्क्भ् तक पहुंच गया है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में अरहर की दाल की खपत अधिक होती है इसलिए लोगों पर इस दाल की रेट में तेजी का अधिक असर दिखायी दे रहा है. कमावेश उड़द के दाल के साथ भी ऐसा ही है. उड़द के दाल में जो 90 रुपये प्रति किलो के आस पास थी इस समय उछल कर क्ख्भ् रुपये प्रति किलो तक पहुंच गयी है. फुटकर की अपेक्षा थोक मंडियों में रेट में तकरीबन भ् से 8 परसेंट तक का अंतर है.

दाम बढ़ने के कई हैं कारण

दालों के रेट में तेजी के कई कारण हैं. जानकार बेमौसम बारिश, वायदा कारोबार और कालाबाजारी रेट में तेजी की वजह मान रहे हैं. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का सबसे अधिक असर दलहन और तिलहन की फसलों पर पड़ा है. उत्पादन पर सीधा असर पड़ा है. वैसे बनारस की मंडियों में अधिकतर दालें महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से आती हैं. मौसम ने वहां की दलहन की फसल को प्रभावित किया है. घरेलू स्तर पर जो उत्पादन तो बुरी तरह प्रभावित है. जिसने दालों के रेट में तेजी आयी है. मार्केट एक्सपर्ट राजेश गौतम बताते हैं कि वायदा कारोबार भी जींस के रेट बढ़ने का एक प्रमुख कारण है. अगर दाल और तिलहन को वायदा कारोबार से मुक्त कर दिया जाये तो इसके रेट में काफी कमी आ सकती है.

कालाबाजारी दे रहा है हवा

इसके अलावा कालाबाजारी भी दालों के रेट को हवा दे रहा है. महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के बड़े व्यापारियों ने मौसम की खराबी और फसलों के खराब होने के भनक लगते ही दालों को डंप करना शुरू कर दिया. अब इसका सीधा असर दालों के रेट पर दिखायी देने लगा है. स्थानीय मंडियों के व्यापारियों को बढ़े रेट पर माल मिल रहा है जिसके चलते वे भी रेट बढ़ाकर बेचने को मजबूर है. उनका कहना है कि दाल के रेट में यह तेजी और बढ़ेगी. तेजी का असर है कि मंडियों के ग्राहकों की आमद घट गयी है. व्यापारी थोक हो या फुटकर सभी को दाल के रेट में नरमी का इंतजार कर रहा है.

सब्जियों ने भी तरेरी आंखें

दाल के साथ थाली की पहली जरूरत सब्जियों की आंखे लाल हो गयी है. सब्जियों के राजा आलू से लेकर प्याज, टमाटर तक के रेट में तेजी है. आठ रुपये किलो मिलने वाला आलू क्ख् रुपये किलो और ख्0 रुपये किलो मिल रहा टमाटर ब्0 रुपये प्रति किलो के रेट बिक रहा है. प्याज में पांच से दस रुपये की तेजी देखने को मिल रही है. बैंगन म्0 रुपये प्रति किलो के रेट है. चाइनीज डिशेज में अधिक इस्तेमाल होना वाले शिमला मिर्च, अदरक, धनिया आदि के रेट में तेजी है.

दूध को आया ताव तो पनीर ने भी खाया भाव

इसे मौसम की मार कहें या लगन की अगन पर हकीकत यह कि दूध के रेट में जोरदार उछाल है. शहर की मंडियों में दूध 80 से क्00 रुपये प्रति लीटर के भाव बिक रहा है. जबकि कुछ दिनों पहले तक यह फ्भ् से ब्0 रुपये प्रति लीटर के भाव था. दूध के बढ़े रेट ने खोये और पनीर में भी आग लगा दी. कुछ दिनों पहले तक क्म्0- क्80 रुपये प्रति किलो बिक रहा पनीर ख्ब्0 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रहा है.

बॉक्स

कैटरर्स भी हैं तकलीफ में

खाने पीने की चीजों में लगी आग में सिर्फ आम आदमी को ही नहीं इनके जरिये रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले कैटरर्स की पेशानी पर चिंता की लकीरें दिखायी देने लगी हैं. खाने-पीने के चीजों के बढ़े रेट के चलते कैटरर्स को खासा परेशान कर दिया है. कैटरिंग बिजनेस से जुड़े राकेश साहू बताते हैं कि हम लोगों मार्केट रेट्स का अंदाजा रखते ही कस्टमर को रेट कोट करते हैं लेकिन इस बार की तेजी तो हम लोगों के लिए गले की फांस बन गई है. दाल से लेकर पनीर का रेट हम लोगों के अंदाज से बहुत अधिक है. कैटरिंग बिजनेस से जुडे नानू दा बताते हैं कि हम तो बुरी तरह परेशान है. कस्टमर रेट बढ़ाने को तैयार नहीं है और मार्केट में आग लगी हुई है. नुकसान पर धंधा करने की नौबत है.

बॉक्स

ऑप्शन भी है आपके पास

-अरहर के दाल के ऑप्शन के रूप में आप राजमा, चने की दाल, चना आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं.

- मंडी से दूध खरीदने से बेहतर है कि आप अच्छी कंपनियों के पैक्ड दूध का इस्तेमाल करें.

- सब्जियों में फ्रोजन वेजिटेबल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. कुछ फ्रोजन वेजिटेबल्स का रेट इन दिनों मार्केट रेट के बराबर है.

- सब्जियों के ऑप्शन में मशरूम, मटर, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न जैसी चीजों की सब्जियां यूज की जा सकती है जो नॉर्मल रेट पर मिलेंगी.

(जैसा कि एक रेस्टोरेंट के मैनेजर आर दीक्षित ने बताया )

रेट एक नजर (रुपये प्रति किला)

दाल पहले अब

अरहर 8भ् क्क्फ्

उड़द 8भ् क्ख्भ्

मसूर म्0 80

चना भ्ब् म्भ्

मूंग क्00 क्क्0

वर्जन वर्जन

अगर दलहन और तिलहन को वायदा कारोबार से हटा दिया जाये तो इसके रेट को नियंत्रित किया जा सकता है. मौसम का भी असर है कि रेट चढ़ता ही जा रहा है.

प्रतीक गुप्ता, थोक व्यापारी