- हाई कोर्ट ने जिलाधिकारियों और समाज कल्याण अधिकारियों से चार सप्ताह में मांगा जबाव

NANITAL: हाईकोर्ट ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भांग की खेती के बढ़ते दायरे और चरस के बढ़ते व्यापार पर सख्त रूख अपनाया है। कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों व समाज कल्याण अधिकारियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

नशे की गिरफ्त में आ रहे युवा

चम्पावत जिले के पाटी ब्लॉक निवासी सतीश सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा भांग की खेती व चरस के व्यापार को रोकने के लिए कोई ठोस कार्य नहीं कर रही है। इस वजह से युवा और स्कूली बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार वह स्वयं के खर्च पर चरस व अफीम के खिलाफ सभा व अन्य कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। शासन प्रशासन को प्रत्यावेदन भी दे रहे हैं, मगर सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने राज्य के जिलाधिकारियों व जिला समाज कल्याण अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

वाहन चलाते समय मोबाइल के इस्तेमाल पर लाइसेंस होगा निरस्त

- हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में दिया अहम फैसला

- नियमों को पालन न होने से बढ़ रहा दुर्घटनाओं का ग्राफ

NANITAL: हाई कोर्ट ने वाहन चलाते समय मोबाइल का उपयोग करने वालों का लाइसेंस निरस्त करने के दिए हैं। साथ ही राज्य सरकार को मोटर वाहन अधिनियम की धारा-129 का कठोरता से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।

नाबालिगों को जारी न करें लाइसेंस

नैनीताल के अविदित की जनहित याचिका पर वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ में सुनवाई हुई। खंडपीठ ने इस मामले में फैसला देते हुए साफ कहा है कि सरकार नाबालिगों को लाइसेंस जारी ना करे और न ही उन्हें वाहन चलाने की अनुमति दे। सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि किसी भी वाहन में वाहन की लंबाई से अधिक के सरिया, स्टील के खंभे, पाइप इत्यादि ले जाने पर प्रतिबंधित करे। जनहित याचिका में कहा गया था कि मोटरयान अधिनियम की धारा-128 व 129 का कठोरता से अनुपालन नहीं कराए जाने के चलते ही लगातार दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ रहा है। कोर्ट ने मोटर साइकिल व स्कूटी चालक को बिना आइएसआई मार्क के हेलमेट के वाहन चलाने की अनुमति न देने व इसके लिए एसएसपी, सीओ व कोतवाल को मुख्य तौर जवाबदेह बना दिया है।