इस वर्ष होलाष्टक 13 मार्च, बुधवार से प्रारंभ हो रहा है, जो 20 मार्च होलिका दहन के साथ ही समाप्त हो जाएगा अर्थात्‌ आठ दिनों का यह होलाष्टक दोष रहेगा। जिसमें सभी शुभ कार्य वर्जित है।

भारतीय मुहूर्त विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्तों का शोधन कर उसे करने की अनुमति देता है। कोई भी कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। इस धर्म धुरी से भारतीय भूमि में प्रत्येक कार्य को सुसंस्कृत समय में किया जाता है, अर्थात्‌ ऐसा समय जो उस कार्य की पूर्णता के लिए उपयुक्त हो।

इस प्रकार प्रत्येक कार्य की दृष्टि से उसके शुभ समय का निर्धारण किया गया है। जैसे गर्भाधान, विवाह, पुंसवन, नामकरण, मुण्डन विद्यारम्भ, गृह प्रवेश व निर्माण, गृह शान्ति, हवन यज्ञ कर्म, स्नान, तेल मर्दन आदि कार्यों का सही और उपयुक्त समय निश्चित किया गया है।

ये शुभ कार्य हैं वर्जित

इस प्रकार होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि से एक होलाष्टक दोष माना जाता है, जिसमें विवाह, गर्भाधान, गृह प्रवेश, निर्माण आदि शुभ कार्य वर्जित हैं।

इस समय विशेष रूप से विवाह, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है। अर्थात्‌ इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।

— ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र

जानें होली समेत अन्य त्योहार और इस मास के प्रमुख व्रत

10 मार्च को है वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी, जानें इस सप्ताह के व्रत-त्योहार

 

Spiritual News inextlive from Spiritual News Desk