पुलिस-प्रशासन, एमडीए समेत विभिन्न विभागों में घूसखोरी का राज

आरटीओ में लाइसेंस से लेकर परमिट और रजिस्ट्रेशन तक रिश्वत का सहारा

पोस्टिंग, ट्रांसफर के अलावा छुट्टी अप्रूव करने के लिए भी लगते हैं पैसे

स्वास्थ्य विभाग में भी चलता है 'काम' के बदले 'दाम' का खेल

Meerut। थाना हो या तहसील, कलक्ट्रेट हो या कमिश्नरी हर जगह काम कराने का अलग-अलग दाम देना होता है। पब्लिक की भागेदारी वाले विभागों का तो हाल बेहाल है। बात करें मेरठ विकास प्राधिकरण या नगर निगम की तो यहां किसी भी रुटीन वर्क में समस्याएं पैदा ही इसीलिए की जाती हैं कि लोग समाधान के लिए चक्कर काटें और थक-हारकर संबंधित अधिकारी को 'चढ़ावा' चढ़ाएं।

विभागों का हाल

पुलिस विभाग

बड़े क्राइम की बात छोडि़ए साहब यहां तो थानों में मोबाइल चोरी की रिपोर्ट बिना चढ़ावे के नहीं लिखी जाती। दावे चाहे जो कहें, देश में न्याय आसान नहीं है। शनिवार को एसएसपी ऑफिस पहुंची रेहाना (बदला हुआ नाम) ने थाना ब्रह्मापुरी पुलिस पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया। कबाड़ी बाजार की रहने वाली महिला का कहना है कि उसका भाई जेल में हैं और पड़ोसी दबंग दुकान पर कब्जे का प्रयास कर रहा है। एक रेहाना ही नहीं, एसएसपी कार्यालय पर दिनभर ऐसे फरियादियों का तांता लगा रहता है, जो पुलिस की 'नीयत' से पीडि़त हैं। पासपोर्ट वेरीफिकेशन हो या चरित्र प्रमाण-पत्र, पुलिसकर्मी आवेदक से खुलकर रिश्वत मांगते हैं।

तहसील-कलक्ट्रेट:

खसरा-खतौनी निकलवाना हो या कलक्ट्रेट से भू-अभिलेख, हर 'काम' का 'दाम' सेट है। गत वर्ष तत्कालीन कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने तहसील मेरठ परिसर से दलालों के एक गैंग को दबोचा था। इस गैंग का काम फरियादियों को पकड़कर लाना था। यहां तैनात लेखपाल और तहसीलकर्मी हर काम का दाम लेते हैं। मूल निवास, जाति एवं आय प्रमाण-पत्र के वेरीफिकेशन के लिए तो लेखपाल जांच रिपोर्ट के नाम पर लोगों के पसीने की गाढ़ी कमाई को लूटने में लगे हैं। आलम यह है कि कल्याणकारी योजनाएं सरकार गरीबों के हितों के मद्देनजर लाती है, लेकिन यहां पात्र के वेरीफिकेशन से लेकर फाइनल रिपोर्ट तब ही लगती है, जब चढ़ावा चढ़ा दिया जाता है। विकास भवन में चक्कर काट रही मालती (बदला हुआ नाम) वृद्धा है और विधवा पेंशन के लिए वेरीफिकेशन के नाम पर लेखपाल रिश्वत मांग रहा है।

मेरठ विकास प्राधिकरण

लोहिया नगर आवासीय योजना में मूल आवंटी को पता ही नहीं चला और उसका भू-खंड बेच दिया गया। पूरे खेल में प्राधिकरण की एक महिला कर्मचारी रजनी कन्नौजिया की भूमिका सामने आई थी तो कई अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी प्राधिकरण ने मुकदमा दर्ज कराया था। दरअसल, प्राधिकरण की इस महिला कर्मचारी ने रिश्वत लेकर मूल आवंटी को फर्जी नोटिस जारी किए और उसका आवंटन निरस्त किया। इतना ही नहीं फर्जी आवंटन करके रजिस्ट्री विभाग में रजिस्ट्री भी करा दी। एक-दो नहीं ऐसे सैंकड़ों फरियादी रोजाना एमडीए के चक्कर काट रहे हैं। नक्शा अप्रूवल से लेकर कम्प्लीशन सर्टिफिकेट तक रिश्वत देनी होती है। प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद भी धड़ल्ले से रिश्वतखोरी के काम अंजाम तक पहुंच रहा है।

रजिस्ट्री विभाग-पूर्ति विभाग:

हर रजिस्ट्री पर टाइपराइटर से लेकर सब-रजिस्ट्रार तक का हिस्सा फिक्स है। कोई सख्त अधिकारी कुर्सी पर बैठ गया तो कर्मचारी चोरी-छिपे रिश्वत लेते हैं। सालों से चली आ रही यह 'लेन-देन की व्यवस्था' आज भी कायम है। हां, सर्किल रेट्स में हेराफेरी कर स्टांप चोरी करनी है तो उसके अलग रेट हैं। एडवोकेट वरुण शर्मा (बदला हुआ नाम) का दावा है कि बिना चढ़ावे के रजिस्ट्री नहीं हो सकती है। पूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। पात्र गृहस्थी का कार्ड बनवाना हो तो चेकिंग के लिए गया स्टाफ बिना कुछ लिए-दिए पॉजीटिव रिपोर्ट ही नहीं देता। राशन के दुकानदार सस्ते राशन के उठान पर विभाग को मोटी रकम देते हैं। जानकारों का कहना है कि यह रकम अफसरों में बंटती है। आजकल तो रिश्वत लेकर सरकारी सस्ते गल्ले की कालाबाजारी की खबरें आम हो चली हैं।

नगर निगम का हाल:

नगर निगम में आम जनता को अपनी कालोनियों में नि:शुल्क मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं समेत जन्म-मृत्यु या टैक्स संबंधी प्रमाण-पत्र के लिए बाबूओं से लेकर अधिकारियों तक को रिश्वत देनी पड़ती है। शनिवार को अपने बेटे का जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने निगम पहुंचे हरीश ने बताया कि प्रमाण पत्र के ऑनलाइन आवेदन में शपथ पत्र समेत अन्य खानापूर्ति ना होने पर दो सप्ताह से चक्कर कटाया जा रहा है। आज निगम परिसर में चाय की दुकान करने वाले दुकानदार ने दुकान पर बैठे-बैठे ही शपथ पत्र लगाकर आवेदन जमा करा दिया। हालांकि 40 रूपये के इस काम के लिए उन्हें 500 रूपये बतौर रिश्वत देने पडे़ लेकिन काम आधे घंटे में हो गया।

आवस-विकास:

नक्शे और अवैध निर्माण की रिश्वत

शहर की बाहरी कालोनियों में यदि आप अपने सपनों के घर का निर्माण या नवीनीकरण करना चाहते हैं तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि आवास-विकास के अधिकारियों को रिश्वत दिए बिना आप मकान का रंग तक बदलवा लें। आवास-विकास में सभी प्रकार के निर्माण के नक्शे से लेकर अनुमति के लिए अधिकारियों तक को मोटी रिश्वत जाती है। गत माह मोहनपुरी में अपने पुराने मकान की मरम्मत करा रहे एक शख्स से आवास-विकास के एई ने अवैध निर्माण कराने का आरोप लगाते हुए 50 हजार रूपये बतौर रिश्वत ऐंठ लिए। गत सप्ताह से पीडि़त शख्स कलक्ट्रेट पर एई के खिलाफ धरने पर बैठा हुआ है।

आरटीओ विभाग:

लाइसेंस और परमिट की रिश्वत

आरटीओ विभाग की बात करें तो आज ऑनलाइन होने के बाद भी आरटीओ में मामूली डीएल के आवेदकों को भी दलालों के माध्यम से रिश्वत देनी पड़ती है। अगर आपको अपने वाहन की फिटनेस या परमिट लेना हो तो बिना अधिकारी की जेब गर्म किए बिना काम संभव नहीं। आरटीओ के एजेंट तहसीन ने बताया कि लर्निग लाइसेंस की सरकारी फीस 250 रूपये है लेकिन उसके लिए आवेदक को टेस्ट देना पड़ता है। हमारे द्वारा लाइसेंस बनवाने पर 500 रूपये में बिना टेस्ट के लाइसेंस बना दिया जाता हैं। इसमें प्रति लाइसेंस 100 रूपये अधिकारियों का शुल्क भी शामिल होता है।

रैपिड फायर इंटरव्यू

'ऑनलाइन प्रक्रिया से आई पारदर्शिता'

साहब सिंह, उपाध्यक्ष, मेरठ विकास प्राधिकरण

सवाल-एमडीए में रिश्वतखोरी चरम पर है। आपका क्या कहना है?

जवाब-जहां भी प्रकरण संज्ञान में आता है, त्वरित कार्रवाई की जा रही है।

सवाल-नक्शा पास कराने से लेकर कम्प्लीशन तक रिश्वत देनी होती है?

जबाव- नक्शा अप्रूवल के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया आरंभ की गई है। पारदर्शिता लाने का पूरा प्रयास है।

सवाल-रिश्वतखोरी रोकने के क्या प्रयास हो रहे हैं?

जबाव-कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। किसी भी फाइल को न रोकने की हिदायत दी गई है।

सवाल-अब तक की गई कार्रवाई?

जबाव-फर्जीवाड़ा कर फर्जी आवंटी के नाम भू-खंड करने पर महिला कर्मचारी की सेवाएं समाप्त की गई हैं। कई अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। यह जारी रहेगा।

सवाल-जनता से अपील?

जबाव-जनता से अपील की जा रही है कि वे किसी भी कार्य के लिए एमडीए में रिश्वत न दें। यदि कोई रिश्वत की मांग कर रहा है तो हमें बताएं। न मैं किसी फाइल को रोकता हूं और न अधीनस्थों को रोकने देता हूं।

स्वास्थ्य विभाग:

सीवियर हीमोफिलिया के लिए दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने में स्वास्थ्य विभाग से मेडिकल बोर्ड के बीच पिछले कई हफ्तों से संजीव को झूला झूलाया जा रहा है। बिना रिश्वत के उसका सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा है। सर्टिफिकेट के लिए बाबू एक हजार रूपये मांग रहा हैं। संजीव ही नहीं ऐसे कितने लोग हैं, जो रोजाना अपने काम के लिए घूसखोरी का शिकार बनते हैं। बाबू विभाग के चपरासी के माध्यम से अलग-अलग कार्यो के लिए ऊपर के पैसे मांगते हैं। मेडिकल फिटनेस लेना हो या आयु वेरिफिकेशन, ड्यूटी कटवाने व लगवाने, तैनाती हो तो यहां बिना दाम काम करवाना असंभव है। डॉक्यूमेंट या काम तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक कर्मचारियों की जेबों को गर्म न किया जाए।

'लापरवाह कर्मचारियों पर होती है कार्रवाई'

डॉ। राजकुमार सीएमओ, स्वास्थ्य विभाग, मेरठ

सवाल- लोगों को काम के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं, ऐसा क्यों?

जवाब- हर काम के लिए फाइल तैयार होती है लेकिन लोगों की फाइलें एक बार में कंपलीट नहीं होती हैं। फाइल पूरी करने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं।

सवाल- काम में पारदर्शिता क्यों नहीं हैं?

जवाब- अधिकतर काम ऑनलाइन हो गए हैं, ऐसे में पारदर्शिता खुद-ब-खुद आएगी।

सवाल- कर्मचारी लोगों से ऊपर से पैसे मांगते हैं?

जवाब- अगर कोई कर्मचारी ऊपर से पैसे मांगता है तो लोग सीधे मुझे शिकायत कर सकते हैं।

सवाल- सीएचसी, पीएससी पर डॉक्टर्स नहीं होते हैं लेकिन हाजिरी क्यों लगी होती है?

जवाब- इसके लिए हम औचक निरीक्षण करते रहते हैं। जो उपस्थित नहीं होता है, उनका वेतन काटा जाता है।

'कोई रिश्वत मांगे, तो मुझसे शिकायत करें'

रैपिड फायर- डॉ। विजय कुमार आरटीओ

सवाल- आरटीओ में रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता ऐसा क्यों?

जवाब- आरटीओ विभाग के सभी काउंटर्स पर पारदर्शिता लाने के लिए बाबूओं व संबंधित अधिकारियों के नाम व नंबर लिखे हुए हैं। इसके बाद भी यदि कोई रिश्वत मांगे तो सीधा मुझसे शिकायत करें।

सवाल- लाइसेंस के ऑनलाइन टेस्ट में बिना टेस्ट आवेदक पास किए जा रहे हैं?

जवाब- ऐसा नहीं है। ऑनलाइन टेस्ट में आवेदक को खुद बैठना पड़ता है। उसकी सीसीटीवी फुटेज बनती है। बॉयोमेट्रिक से लेकर फोटो तक के लिए आवेदक को आना पड़ता है।

सवाल- दलालों की विभाग के गोपनीय काउंटर तक एंट्री है?

जवाब- सभी विभागों के बाबूओं को सख्त हिदायत दी गई है कि किसी को भी अंदर एंट्री ना दें। यदि दलाल परिसर में मिला तो बाबू पर एक्शन होगा।

सवाल- वाहनों की फिटनेस के काम में दलालों का हस्तक्षेप है?

जवाब- वाहनों की फिटनेस का काम आरआई द्वारा पूरी बारीकी से किया जाता है। वाहन स्वामी यदि खुद दलाल के माध्यम से फिटनेस कराता है तो भी नियमानुसार ही जांच होती है।

पब्लिक कोट्स

मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए विभाग में निर्धारित दाम फिक्स हैं। बिना रिश्वत दिए कहीं कोई काम नहीं होता है।

नीरज कौशिक

अधिकतर सरकारी विभागों में बिना ऊपर के पैसे दिए कोई काम नहीं होता है। लोग चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो जाते हैं।

आशीष त्यागी

सरकारी विभागों में बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं करवाया जा सकता है। आम जनता को सिर्फ इसलिए परेशान किया जाता है ताकि उनकी जेब से पैसा निकलवाया जा सके।

ममता मित्तल

रिश्वत के कुछ मामले

7 जून, 2018

सिंचाई विभाग के मेरठ गंगनहर खंड के कनिष्ठ लिपिक को एंटी करप्शन की टीम ने कार्यालय में 10 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे-हाथों गिरफ्तार किया था।

6 अप्रैल, 2018

एंटी करप्शन की टीम ने आपूर्ति विभाग के एक इंस्पेक्टर और संविदाकर्मी को 20 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे-हाथों दबोच लिया था।

24 मार्च, 2018

एंटी करप्शन की टीम ने लिसाड़ी गेट थाने में तैनात असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।

23 फरवरी, 2018

आवास-विकास के संपत्ति विभाग के सहायक लेखाधिकारी को एंटी करप्शन की टीम ने 15 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे-हाथों गिरफ्तार कर लिया था।

27 दिसंबर, 2017

नर्सिग होम पंजीकरण सेल के प्रभारी व डिप्टी सीएमओ डॉ। अशोक निगम को विजिलेंस की टीम ने दंत रोग विशेषज्ञ से डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे-हाथों पकड़ लिया था।