बहुचर्चित काम के बदले अनाज योजना घोटाले की पूरी हुई न्यायिक जांच

PATNA : वर्ष 2000 से 2005 के बीच काम के बदले अनाज योजना में हुए घोटाले की न्यायिक जांच पूरी हो गई है। घोटाले की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति उदय सिन्हा न्यायिक जांच आयोग ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 334 करोड़ रुपए के घोटाले में 40 डीडीसी, 600 बीडीओ और 800 पंचायत सेवकों पर गाज गिर सकती है।

योजना बंद, आनाज हजम

मामला वर्ष 2002 से लेकर 2006 के बीच का है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2001-02 से लेकर 2005-06 तक काम के बदले अनाज योजना की शुरूआत की थी। इसमें गरीबों को काम के बदले अनाज दिया जाना था। सरकार ने जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को 334 करोड़ रुपये का अनाज उपलब्ध कराया था। कुछ ही दिनों बाद यह योजना बंद हो गई। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों से अनाज की वसूली नहीं की और दुकानदारों ने भी अनाज नहीं लौटाया। जब इसकी जांच हुई तो इसमें महज 42 करोड़ के अनाज का हिसाब मिल सका। बाकी के 282 करोड़ रुपए के अनाज का कोई पता नहीं चला। यह मामला तब सरकार के संज्ञान में आया था जब सीएजी की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया। इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग ने विभिन्न जिलों में वर्ष 2002-06 के बीच तैनात रहे कुल 107 डीडीसी और 900 बीडीओ से इसका हिसाब मांगा। विभाग ने इस मामले में 19 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की।