-दिल्ली-जयपुर में सर्वाधिक पहुंचे त्रासदी से प्रभावित नेपाली बच्चे और लड़कियां

-रेस्क्यू अभियान में पकड़े जाने पर मां-बाप, रिश्तेदारों का गलत बता रहे नाम

-राहत सामग्री बांट रही समाजसेवी संस्थाएं, एनजीओ ने की ट्रैफिकिंग

Meerut : दुखती रग पर हाथ रखा तो वो फफक पड़ी, अपनापन मिला तो, कंधे पर सिर रख दिया और अपना सबकुछ लुटा बैठी। दिल्ली में जीबी रोड पर रेस्क्यू अभियान में कई ऐसी लड़कियां मिली है जो नेपाल त्रासदी में अपना सबकुछ गंवा बैठी और बची अस्मत को 'भूख' के आगे तार-तार हो गई।

रेस्क्यू अभियान में हुआ खुलासा

संस्था शक्ति वाहिनी ने बताया कि दिल्ली के एक शेल्टर होम में रह रहे 25 नेपाली बच्चों की जब काउंसलिंग की गई तो एक अजब-गजब सच सामने आया। मालूम चला कि त्रासदी के दौरान वहां शिविर लगाकर जो राहत बांट रहे थे वहीं अपनापन जताकर उन्हें जीबी रोड ले आए। अफसोसजनक यह है कि इन बच्चों के मां-बाप असली नहीं थे तो भाई-बहन के नाम भी गलत बताए जाते हैं।

सर्वाधिक बच्चे दिल्ली-जयपुर में

हाल ही में दिल्ली में अभी छह ऐसी ही लड़कियां रेस्क्यू हुई हैं जो नेपाल त्रासदी के बाद बहाने से जीबी रोड लाई गई। दिल्ली और जयपुर में सर्वाधिक ऐसे बच्चों को चिह्नित किया गया है। हालांकि त्रासदी के दौरान यूपी सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी जिसके तहत बार्डर पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। एडवाइजरी में बच्चों की खरीद-फरोख्त पर रोक के निर्देश थे।

दिल्ली के रास्ते दुबई का सफर

अब तक करीब आठ हजार ऐसे केसेस रिपोर्ट हुए हैं जिसमें भारत के रास्ते दुबई एवं अन्य गल्फ कंट्रीज में वूमेन ट्रैफिकिंग हुई है। बता दें कि काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट में किसी भी वयस्क लड़की के अकेले सफर पर रोक है। यहां मां-बाप या सगे रिश्तेदार के साथ ही लड़की उड़ान भर सकती है। ऐसे में ट्रैफिकर भारत के रास्ते लड़कियों को गल्फ कंट्रीज में भेजते हैं। ऐसे आठ हजार केस महज इंदिरा गांधी एयरपोर्ट दिल्ली में पकड़ में आए हैं।