गंभीर आरोप

मैंने उन्हें दूर हटाने की कोशिश की, उन्होंने मेरे हाथ को चूमा, दोहराया वह मुझसे प्यार करते हैं.. मुझसे रूम शेयर करने के लिए कहा.. यौन उत्पीड़न मामले में सेवानिवृत्त जस्टिस एके गांगुली के खिलाफ यह बयान पीड़ित प्रशिक्षु महिला वकील ने सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति के समक्ष दर्ज करवाएं हैं. एक अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित पीड़िता के बयान में सेवानिवृत्त जस्टिस गांगुली पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

क्या- क्या किया गांगुली ने होटल में

समिति के समक्ष दर्ज पीडि़ता के बयान के अनुसार 24 दिसंबर 2012 को पूर्व जस्टिस गांगुली के साथ वह होटल ली मेरिडियन के कमरे में थी. पूर्व जस्टिस गांगुली ने उसे शराब पीने के लिए कहा, उसके मना करने पर भी उन्होंने इस बात को दोहराया. पूर्व जस्टिस ने उस दौरान न केवल शराब पी, बल्कि एक गिलास में भरकर जबरन मुझे भी देने की कोशिश की. उन्होंने मुझसे रात को वहीं रुकने के लिए कहा, मेरे मना करने पर उन्होंने अलग कमरा बुक करने के लिए भी कहा. उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा, मेरे वहां हटने की कोशिश पर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा और उसे चूमा. उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें नहीं लगता मैं तुम्हारी तरफ आकर्षित हूं.

तीन अन्य लड़कियों का किया यौन शोषण

पीड़िता ने बयान में आगे कहा कि घर वापस जाने के लिए कहने पर उन्होंने कहा कि अभी कार्य खत्म नहीं हुआ है. मैं रात करीब 10 बजे कमरे से बाहर निकली और रिसेप्शन पर पहुंची मेरी कार अभी तक पहुंची नहीं थी. पूर्व जस्टिस गांगुली भी वहां पहुंचे और उन्होंने फोन कर कार मंगवाई. इस दौरान मुझे अकेली पाकर उन्होंने फिर कहा कि काम खत्म कर जाना. करीब 10.30 बजे कार आई और मैं अपने पीजी पहुंची. पीजी पहुंचने पर गांगुली का मुझे फोन आया और उन्होंने मुझसे घर ठीकठाक पहुंचने के बारे में पूछा. मैंने उन्हें ठीकठाक पहुंचने का जवाब देने के बाद फोन काट दिया. इसके बाद सुबह मेरे पास गांगुली का एसएमएस आया, जिसमें उन्होंने मुझसे माफी मांगी थी. मैंने एसएमएस कर उन्हें वापस काम पर न लौटने का जवाब दिया.

क्यों हट रहा है सुप्रीम कोर्ट पीछे

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके गांगुली पर प्रशिक्षु महिला वकील की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया था. समिति ने रिपोर्ट में कहा है, 'जस्टिस गांगुली का व्यवहार आपत्तिजनक था.' हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने यह कहते हुए आगे कार्रवाई करने से किनारा कर लिया था कि आरोपी जज घटना के समय सेवानिवृत्त हो चुके थे और महिला वकील सुप्रीम कोर्ट में प्रशिक्षु नहीं थी.

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