भारतीय क्रिकेट टीम में वीरेंद्र सहवाग ऑलराउंडर के तौर पर जुड़े। लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी आतिशी बल्लेबाज़ी से सबका दिल जीत लिया और टीम के सलामी बल्लेबाज़ बन गए। दिल्ली के नजफगढ़ में जन्मे वीरू ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे से की। अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सिर्फ 69 गेंदों में साल 2001 में बनाया।

 
बड़े-बड़े गेंदबाज़ों को धूल चटाने वाले सहवाग ने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की। लेकिन ज़रा सोचिए सहवाग अगर क्रिकेटर नहीं होते तो क्या होते? सहवाग ने यूसी न्यूज़ के लाइव चैट शो के दौरान बताया कि अगर वो क्रिकेटर नहीं होते तो किसान होते।

सहवाग ने बताया, "मेरे पिता एक किसान हैं। मैं ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूं इसलिए डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकता था। मुझे लगता है कि क्रिकेटर नहीं तो मैं भी किसान ही होता। मुझे आर्मी और पुलिस की नौकरी में दिलचस्पी थी, लेकिन उसके लिए फिटनेस बहुत ज़रूरी होती है। मेरी फिटनेस उस लेवल की नहीं थी।

इस लाइव चैट में सहवाग के साथ पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी भी मौजूद थे। अफरीदी ने इस सवाल के जवाब में कहा कि अगर वो क्रिकेटर न होते तो आर्मी में जाते। उनके परिवार में ज़्यादातर लोग आर्मी में हैं और वो भी इसे ही चुनते।    

आपको बता दें कि साल 2008 में सहवाग टेस्ट मैच में सबसे तेज़ ट्रिपल सेन्चुरी बनाने वाले बल्लेबाज़ बने। यह मैच उन्होंने चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। सहवाग के नाम 2009 में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में सबसे तेज़ शतक का रिकॉर्ड भी बना, जिसे चार साल बाद विराट कोहली ने तोड़ा। 

साल 2011 में इंदौर के होल्कर क्रिकेट स्टेडियम में दर्शकों को सहवाग की तूफानी इनिंग देखने को मिली। सहवाग ने 149 बॉल में 219 रन बनाए जिसमें 25 चौके और 7 छक्के शामिल थे। इसके साथ ही सहवाग ने सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड भी तोड़ डाला था। सचिन ने फरवरी 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वन-डे इतिहास की पहला दोहरा नाबाद शतक लगाया था। साल 2011 में उनका यह रिकॉर्ड तोड़कर सहवाग वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के दूसरे बल्ले।बाज बने थे। उसके बाद रोहित शर्मा, क्रिस गेल, मार्टिन गुप्टिल और फख़र ज़मां ने भी वनडे में दोहरा शतक लगाया। 

भारतीय क्रिकेट टीम में वीरेंद्र सहवाग ऑलराउंडर के तौर पर जुड़े। लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी आतिशी बल्लेबाज़ी से सबका दिल जीत लिया और टीम के सलामी बल्लेबाज़ बन गए। दिल्ली के नजफगढ़ में जन्मे वीरू ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे से की। अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ सिर्फ 69 गेंदों में साल 2001 में बनाया।

बड़े-बड़े गेंदबाज़ों को धूल चटाने वाले सहवाग ने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की। लेकिन ज़रा सोचिए सहवाग अगर क्रिकेटर नहीं होते तो क्या होते? सहवाग ने यूसी न्यूज़ के लाइव चैट शो के दौरान बताया कि अगर वो क्रिकेटर नहीं होते तो किसान होते।

सहवाग ने बताया, "मेरे पिता एक किसान हैं। मैं ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूं इसलिए डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकता था। मुझे लगता है कि क्रिकेटर नहीं तो मैं भी किसान ही होता। मुझे आर्मी और पुलिस की नौकरी में दिलचस्पी थी, लेकिन उसके लिए फिटनेस बहुत ज़रूरी होती है। मेरी फिटनेस उस लेवल की नहीं थी।

इस लाइव चैट में सहवाग के साथ पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी भी मौजूद थे। अफरीदी ने इस सवाल के जवाब में कहा कि अगर वो क्रिकेटर न होते तो आर्मी में जाते। उनके परिवार में ज़्यादातर लोग आर्मी में हैं और वो भी इसे ही चुनते।    

आपको बता दें कि साल 2008 में सहवाग टेस्ट मैच में सबसे तेज़ ट्रिपल सेन्चुरी बनाने वाले बल्लेबाज़ बने। यह मैच उन्होंने चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। सहवाग के नाम 2009 में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में सबसे तेज़ शतक का रिकॉर्ड भी बना, जिसे चार साल बाद विराट कोहली ने तोड़ा। 

साल 2011 में इंदौर के होल्कर क्रिकेट स्टेडियम में दर्शकों को सहवाग की तूफानी इनिंग देखने को मिली। सहवाग ने 149 बॉल में 219 रन बनाए जिसमें 25 चौके और 7 छक्के शामिल थे। इसके साथ ही सहवाग ने सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड भी तोड़ डाला था। सचिन ने फरवरी 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वन-डे इतिहास की पहला दोहरा नाबाद शतक लगाया था। साल 2011 में उनका यह रिकॉर्ड तोड़कर सहवाग वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के दूसरे बल्ले।बाज बने थे। उसके बाद रोहित शर्मा, क्रिस गेल, मार्टिन गुप्टिल और फख़र ज़मां ने भी वनडे में दोहरा शतक लगाया।