- डीजीपी ने साइबर क्राइम की रोकथाम के लिये जारी की एडवायजरी

- सभी जिलों में गठित होंगी साइबर क्राइम सेल, क्राइम ब्रांच का होगी हिस्सा

- साइबर क्राइम विवेचना के लिये स्टेट साइबर क्राइम सेल से लेना होगा निर्देश

LUCKNOW :

साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं व दूसरे राज्यों व देशों तक फैले लिंक के मद्देनजर यूपी पुलिस ने राज्य साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेल का गठन किया है। आईजी एसटीएफ स्टेट साइबर क्राइम कोऑर्डिनेटर होंगे। इसके साथ ही सभी जिलों में भी साइबर क्राइम सेल के गठन का आदेश दिया गया है, जो कि क्राइम ब्रांच का हिस्सा होगा और जिलों के एसपी के अधीन काम करेगा। वहीं, जिलों की सेल की ट्रेनिंग, विवेचना में गाइडेंस और दूसरे राज्यों से समन्वय के लिये स्टेट साइबर क्राइम सेल जवाबदेह होगा।

क्राइम ब्रांच का हिस्सा होंगी साइबर क्राइम सेल

सभी एसएसपी/एसपी को जारी एडवायजरी में निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों में 'जनपदीय साइबर क्राइम सेल' का गठन करें। जिसमें पर्याप्त संख्या में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व अन्य कर्मी नियुक्त किये जाएं। यह साइबर क्राइम सेल जिलों में पहले से कार्यरत क्राइम ब्रांच का हिस्सा होंगी और यह सेल जनपदीय पुलिस के अधीन काम करेगी। सेल स्टेट साइबर क्राइम सेल से विवेचना के संबंध में निर्देश प्राप्त करेगा। समय-समय पर तकनीकी पहलुओं से अपडेट होने के लिय सेल को वर्कशॉप भी आयोजित करानी होंगी।

विवादित पेज व अकाउंट को कराना होगा ब्लॉक

एडवायजरी में कहा गया कि वर्तमान में सूचनाओं और विचारों के आदान-प्रदान में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है। इसका दुरुपयोग धार्मिक उन्माद फैलाने, दूसरे धर्म के प्रति लोगों द्वेष पैदा करने, व्यक्तिगत प्रतिष्ठा में ठेस पहुंचाने, अश्लील वीडियो अपलोड करने और महिलाओं व युवतियों को ब्लैकमेल करने जैसे आपराधिक कृत्यों के होने से कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इसके लिये रेंज कार्यालय सोशल मीडिया की निरंतर निगरानी कर रहे हैं। ऐसे सभी फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, गूगल प्लस और वाट्सएप अकाउंट के चिन्हित होते ही इन अकाउंट्स को न सिर्फ ब्लॉक कराना होगा बल्कि, पीडि़त की शिकायत पर कंटेंट लोड करने वाले का पता लगाकर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी होगी।