PATNA: शहर में एक ऐसा पुरातात्विक भवन जिसके अंदर छिपे हैं कई इतिहास। लेकिन इसे ढूंढ़ने के लिए आज तक जिम्मेदारों ने जहमत नहीं उठाई। हम बात कर रहे है महाराजा कामेश्वर सिंह कॉम्प्लेक्स और डाकबंगला चौराहा के बीच स्थित टूटी इमाम भवन की। ब्रिटिश स्कॉटिश शैली में बनी इस इमारत ने 1912 के ऐतिहासिक कांग्रेस महाअधिवेशन में मेहमानों की मेजबानी की थी। यहीं पर कई अहम फैसले लिए गए थे। अब आलम यह है कि भवन न सिर्फ खंडहर में तब्दील हो गया है बल्कि इसके

दिवारों में घास फूस भी उग गए हैं। यह भवन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अपनी पहचान खो रहा है। डीजे आई नेक्स्ट की स्पेशल स्टोरी में पढि़ए टूटी इमाम भवन किस तरह से इतिहास बनता जा रहा है।

खंडहर बन रहा है भवन

18वीं सदी में सैयद हसन इमाम द्वारा निर्मित रिजवान कैसल जिसे लोग टूटी इमाम भवन के नाम से जानते हैं। यह अब नष्ट होने के कगार पर पहुंच गया है। पुरातत्व विभाग की लापरवाही के चलते भवन के ऊपर कई जंगली पौधे उग गए हैं। आस पास गंदगी का अंबार फैला हुआ है। जिसे न तो नगर निगम साफ-सफाई करवाता है न ही पुरातत्व विभाग के अधिकारी इस भवन को देखने के लिए कभी आते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि मरम्मत के अभाव में अंदर के कमरों से प्लास्टर गिर रहे हैं।

1912 के महाधिवेशन का है गवाह

ये भवन आजादी से पूर्व 1912 ई। में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के ऐतिहासिक महाधिवेशन का मेजबानी कर चुका है। अधिवेशन में आए कांग्रेस पार्टी तत्कालीन नेता लोग इस भवन में रुके हुए थे। यहीं पर बैठकर आजादी का बिगुल अंगे्रजों के खिलाफ फूंके थे। जानकारी के अनुसार इस भवन में स्वतंत्रता सेनानी प्राइवेट मीटिंग भी करते थे।

बिहार पुलिस के जवानों ने कर लिया कब्जा

जानकारी के अनुसार मशहूर स्वतंत्रता सेनानी मजहरुल हक से सैयद हसन इमाम ने इस जमीन को खरीद कर भवन निर्माण कार्य ब्रिटिश स्कॉटिश शैली कराया था। वर्तमान में बिहार पुलिस के सिपाहियों के रहने का केन्द्र बन गया। पुरातात्विक विशेषज्ञों का माने तो किसी भी भवन का जीवनकाल 150 साल का होता है। अगर इस भवन को संरक्षित नहीं किया तो यह इतिहास बन जाएगा