RANCHI: खूंटी के शेल्टर होम सहयोग विलेज के एक ही कैंपस में स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी, नारी निकेतन, बाल सुधार व बालिका सुधार गृह चल रहा है। यह खुलासा सीडब्ल्यूसी की जांच में हुआ है, जिसे कमिटी ने जेजे एक्ट का उल्लंघन बताया है। साथ ही एक कैंपस में लड़का-लड़की दोनों को रखने पर सीडब्ल्यूसी ने लड़कियों के लिए असुरक्षित बताया है। गौरतलब हो कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में रेवडि़यों की तरह बांटे गए लाइसेंस मामले को सीएम रघुवर दास ने गंभीरता से लिया था और जिलों में स्थापित विभिन्न शेल्टर होम की जांच का आदेश सीडब्ल्यूसी को दिया था। निरीक्षण के दौरान सभी बालगृहों में बड़ी खामियां पाई गई हैं। सीडब्लूसी ने इससे संबंधित रिपोर्ट वहां के डीसी को सौंप दी है।

नहीं है डॉक्टर, बीमारी में खिलाते हैं पारासिटामोल

जांच के क्रम में यह भी बात सामने आई है कि इन शेल्टर होम में बच्चे बीमार होते हैं तो उन्हें डॉक्टर के पास न ले जाकर पारासिटामोल खिलाया जाता है। नहाने-शौच के लिए बच्चे- बच्चियों को जंगल जाना पड़ता है। कई शेल्टर होम में एक ही कैंपस में लड़के-लड़कियों को रखा गया है, जो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का उल्लंघन है। आशा किरण, बालिका गृह, फूदी, जिआरप्पा में बच्चों के शयन कक्ष में साफ-सफाई नहीं थी। बालिका गृह में साफ-सफाई का काम बच्चे ही करते हैं। खाने में सिर्फ चावल दिया जाता है। निरीक्षण के दौरान चार बालिकाएं बीमार मिलीं। लेकिन डॉक्टर के पास न ले जाकर केवल पारासिटामोल दे दिया गया।

एक बालगृह में 16 बच्चे व 20 बच्चियां, शौच को जाते हैं जंगल

सीडब्ल्यूसी ने रिपोर्ट दी है कि किन कारणों से बच्चों को यहां रखा गया है, यह समझ के परे है। बाल गृह की संचालिका के 21 जून से बालगृह नहीं आने की बात भी कही गई है। खूंटी के इन शेल्टर होम में रांची, लोहरदगा, चाईबासा और असम के बच्चे पाए गए हैं। आशा ज्योतिष संस्था में पहुंची सीडब्लूसी टीम के समक्ष सभी बच्चे प्रस्तुत नहीं किए गए। जांच टीम के मुताबिक, ऐसे बच्चों को भी गृह में रखा गया है जिनके मां- बाप हैं। ऐसे बच्चों को गृह में रखने की आवश्यकता नहीं है। एक ही बालगृह में 16 लड़के और 20 लड़कियां रखी गई हैं। बालगृह की चारदीवारी भी नहीं है। शौच के लिए यहां लड़के-लड़कियां जंगल जाते हैं। बालगृह में बच्चे नहाने के लिए भी नदी, डोभा में जाते हैं। बच्चों को दिन और रात में सिर्फ एक-एक बार खाना दिया जाता है।