डेढ़ घंटे तक कार में तड़पती रही मासूम बच्ची

बच्ची को देखकर एक महिला ने मचाया शोर

Meerut। धनतेरस के दिन एक दंपति की लापरवाही के चलते एक मासूम बच्ची की जान चली जाती। मसीहा बनकर आई एक महिला ने बच्ची को कार में अकेला तड़पता देखकर शोर मचा दिया, जिसके बाद आसपास के लोगों ने कार का शीशा तोड़कर बच्ची को सही सलामत कार से बाहर निकाला। जबकि कार में दम घुटने से बच्ची की तबियत खराब हो गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने नसीहत देकर मामला रफा-दफा किया।

दम घुट रहा था

सेंट्रल मार्केट में धनतेरस की रात करीब पौने दस बजे नौचंदी क्षेत्र का रहने वाला दंपती सेंट्रल मार्केट में शॉपिंग करने आया था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, उन्होंने मार्केट के बाहर कार खड़ी की और बच्ची को कार में सोता छोड़कर शॉपिंग करने चले गए। कुछ देर बाद पसीने से तरबतर बच्ची बिलख उठी। उसका दम घुटने लगा तो वह शीशे पर हाथ मारने लगी।

महिला ने मचाया शोर

इस दौरान वहां से अपने परिवार के साथ जा रही एक महिला ने बच्ची को कार के शीशे पर पसीने से तरबतर हाथ मारते देखा तो शोर मचा दिया। हल्ला मचता देख वहां सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा हो गई। इस दौरान पुलिस मौके पर पहुंच गई तो पुलिस और भीड़ ने सरिये से कार का लॉक खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं खुला। करीब डेढ़ घंटे तक बच्ची को बाहर निकालने की जद्दोजहद चलती रही। बच्ची के माता-पिता की खोजबीन के लिए एनाउंसमेंट भी कराया गया लेकिन, कुछ पता नहीं चला। इसके बाद लोगों ने मिलकर कार का शीशा तोड़कर बच्ची को बदहवास स्थिति में बाहर निकाला।

हिदायत देकर छोड़ा

एसपी सिटी रणविजय सिंह ने बताया कि बच्ची को गाड़ी में सोता छोड़कर माता-पिता शॉपिंग करने चले गए थे। बच्ची को शीशा तोड़कर बाहर निकाला गया तो मां-पिता भी मौके पर पहुंच गए। बहुत माफी मांगने पर उन्हें हिदायत देकर जाने दिया।

बच्चों को कार में छोड़ना हो सकता है जानलेवा

कार में छोटे बच्चों के साथ सफर जितना सेफ लगता है, असल में ऐसा नहीं होता। डॉ। वीरोत्तम तोमर के मुताबिक कई बार शॉपिंग करते हुए पेरेंट्स बच्चों को कार में बंद करके चले जाते हैं। सोचते हैं, 5 मिनट के काम के लिए क्यों उन्हें साथ ले जाना। ऐसा करना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। बंद कार बिना वेंटिलेशन के ग्रीनहाउस की तरह काम करती है। यानी कार के भीतर का तापमान बाहर की तुलना में 20 डिग्री से भी ज्यादा हो सकता है। तापमान बढ़ना छोटे बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है। बच्चे को कभी भी, एक मिनट के लिए भी कार के भीतर अकेला न छोड़ें।

ऑक्सीजन की कमी

कार के दरवाजे और शीशे लॉक होने से कार के अंदर ऑक्सीजन धीरे-धीरे कम होने लगती है। अगर बच्चा कार में है तो डेढ़ से दो घंटे में ऑक्सीजन की कमी के चलते बच्चा बेहोश हो सकता है। अगर बच्चे को इसी हालात में तीन से चार घंटे बीत जाते हैं तो उसकी हालत बेहद क्रिटिकल हो सकती है। ऐसे में बच्चे को कार से बाहर आते ही आईसीयू में जरूर एडमिट कराएं।