कानपुर। म्यांमार के लिए आज का दिन बहुत खास है क्योंकि इसी दिन उसे आजादी मिली थी। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के मुताबिक, 4 जनवरी, 1948 को म्यांमार को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। बता दें कि जब अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा किया, तो उनकी नजर बर्मा (म्यांमार) पर भी पड़ी। कहा जाता है कि एक समय में यहां कीमती रत्न और प्राकृतिक तेल पाया जाता था। यही कारण रहा कि अंग्रेजों ने म्यांमार पर कब्जा करने का मन बना लिया। चूंकि पहले म्यांमार में राजाओं का शासन था, इसलिए उस पर कब्जा करने के लिए अंग्रेजों ने कई बार युद्ध किए।

लागू हुआ नया संविधान
1886 में राजाओं से युद्ध में जीत हासिल कर बर्मा पर अंग्रजों ने कब्जा कर लिया। बर्मा के आजादी का कारण यह भी बताया जाता है कि जब अगस्त, 1947 में अंग्रेज भारत छोड़कर वापस गए तो उनपर बर्मा को भी आजाद करने का दबाव बनाया जाने लगा। बाद में उन्हें भी ऐसा महसूस हुआ कि भारत से लौटने के बाद सिर्फ बर्मा में कब्जा रखना फायदेमंद नहीं है, यही कारण था कि अंग्रेजों म्यांमार को भी 4 जनवरी, 1948 को आजाद कर दिया। इसी दिन से यहां एक नया संविधान लागू हुआ। वैसे तो कई लोगों ने बर्मा को आजाद कराने में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी लेकिन जनरल औंग सन की भूमिका में इसमें अहम रही। उन्होंने उस वक्त जमकर अंग्रेजों का विरोध किया था। औंग सन को म्यांमार में राष्ट्रपिता माना जाता है।  बता दें कि 1989 में बर्मा का नाम बदलकर म्यांमार कर दिया गया।

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