नई दिल्ली (आईएएनएस)। भारत ने शुक्रवार को यह साफ कर दिया कि अफगानिस्तान-तालिबान शांति के मुद्दे पर मॉस्को में होने वाली बैठक में उसकी भागीदारी अनाधिकारिक तौर पर हुई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविेश कुमार ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "यहां कुछ भी नहीं है जिसे हम मजबूर कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि बैठक में दो-तीन मुद्दे अहम हैं, पहला तो यह कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के प्रयासों का पूरा समर्थन करता है। उन्होंने बताया कि दूसरा यह कि भारत अफगानिस्तान की सुरक्षा और खुशहाली के लिए हमेशा उसके साथ है और तीसरा यह कि भारत अफगानिस्तान के हर नीति का समर्थन करता है क्योंकि हमें लगता है कि अफगानिस्तान की ओर से शांति के लिए जो भी प्रयास किए जाते हैं वो हमारी नीति के तहत हैं, इसलिए हम शांति और सुलह के प्रयासों का पूरा समर्थन करेंगे।

पहली बार शांति और सुलह पर वार्ता

अफगानिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत और विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव अमर सिन्हा और पाकिस्तान के पूर्व भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन मॉस्को वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह पहली बार था जब भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के मुद्दों पर अफगान-तालिबान के साथ वार्ता में शामिल हुआ। बता दें कि पिछले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बाद ऐसा कदम उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने मॉस्को बैठक में भारत के शामिल होने पर सवाल खड़े किये थे। उनका कहना था कि जब सरकार अनाधिकारिक तौर पर तालिबान के साथ बातचीत में शामिल हो रही है तो जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों के साथ ऐसी अनाधिकारक बातचीत क्यों नहीं की जाती है?

अफगानिस्तान में सैन्य हेलिकॉप्टर क्रैश, 25 बड़े अधिकारियों की मौत

अफगानी नेता का आरोप, पाकिस्तान अभी भी कर रहा तालिबान को सपोर्ट

International News inextlive from World News Desk