वाशिंटन (पीटीआई)। भारत और नेपाल से गए लोगों से जबरन काम कराने के मामले में अमेरिका की एक अदालत में भारतवंशी दंपत्ति को दोषी पाया गया है। असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल एरिक ड्रिबैंड ने बताया कि कैलिफोर्निया के स्टॉकटन में रहने वाले 45 वर्षीय सतीश करतन और उनकी पत्नी शर्मिष्ठा बरई (45) ने विदेशी नौकरों का फायदा उठाया, उन्हें बिना पैसे के काम करने के लिए मजबूर किया और उनसे जबरन काम कराने के लिए उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया। इसके अलावा उन्होंने ने यह भी कहा कि जब बाहरी नौकर काम छोड़कर जाने की बात कहते थे, तो वह उन्हें मरने और जलाने की धमकी भी देते थे। भारतीय-अमेरिकी दंपति को 20 साल की जेल हो सकती है और साथ ही उन्हें 250,000 डॉलर का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। 6 जून को उन्हें अदालत में सजा सुनाई जाएगी।

इंटरनेट पर डाली गलत जानकारी

फरवरी 2014 से अक्टूबर 2016 के बीच ट्रायल में पेश किए गए अदालती दस्तावेजों और साक्ष्यों के अनुसार, करतन और बरई ने विदेशों से आए नौकरों को स्टॉकटन में उनके घर में घरेलू काम के लिए नौकरी पर रखा था। वह अपने घर का सारा काम उन्हीं से कराते थे। इंटरनेट और भारत बेस्ड समाचार पत्रों में मजदूरों की मांग वाले विज्ञापनों में, दंपत्ति ने काम के समय और पैसों के बारे में गलत जानकरी दी थी। विज्ञापन देखने के बाद जब नौकर सतीश के स्टॉकटन में स्थित घर पर पहुंचे, तो करतन और बरई ने उन्हें आराम और खाना-पीना दिए बिना उनसे हर रोज दिन में 18 घंटे जबरन काम करवाया। ट्रायल के दौरान प्रस्तुत साक्ष्य के अनुसार, इस दंपति ने एक महिला नौकर को कई मौकों पर बुरी तरह से मारा।

मसूद अजहर के खिलाफ अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन एक साथ, ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कराने के लिए चीन से कर रहे बातचीत

International News inextlive from World News Desk