फ्लैग : स्मारक घोटाले की जांच का बढ़ा दायरा, अब पेड़-पौधों की भी पाई-पाई का हिसाब होगा

- ईडी ने निर्माण निगम से मांगे हर खर्च संग इंजीनियर्स और ठेकेदारों के नाम

- निर्माण निगम में हड़कंप, एमडी ने जांच में सहयोग को बनाया नोडल अफसर

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW : बसपा सरकार में बने स्मारकों के निर्माण में जांच की जद से बच निकलने वाले तमाम भ्रष्ट अफसरों, सप्लायरों और ठेकेदारों की शामत आने वाली है। स्मारक घोटाले की जांच कर रहे इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने उप्र राजकीय निर्माण निगम से लखनऊ और नोएडा में बने पांचों स्मारक व पार्क के निर्माण कार्य और उसमें खर्च की गयी रकम की पाई-पाई का हिसाब मांग लिया है। खास बात यह है कि पहली बार स्मारक घोटाले की जांच लोकायुक्त जांच के दायरे से बाहर जाकर होगी। यही वजह है कि ईडी ने स्मारकों के निर्माण से जुड़े हर इंजीनियर, सप्लायर और ठेकेदार का नाम पूछने के साथ कुल खर्च की गयी रकम का पूरा हिसाब देने को कहा है। ईडी के अफसरों की मानें तो इससे स्मारकों में लगी बेशकीमती मूर्तियों और गेट के अलावा विदेश से मंगाए गये कीमती खजूर के पेड़, करोड़ों रुपये के फाउंटेन, म्यूजिक सिस्टम, बिजली के डिजायनर खंभे और इलेक्ट्रिक वर्क पर हुआ खर्च भी जांच के दायरे में आ जाएगा।

हाई पॉवर कमेटी भी दायरे में

स्मारक घोटाले की जांच में जुटी ईडी ने हाल ही में पांच घोटालेबाजों के सात ठिकानों पर छापेमारी कर अहम सुबूत जुटाए थे। बाद में पांचों आरोपितों से पूछताछ कर बयान भी दर्ज किए गये जिनमें इंजीनियर एसपी गुप्ता, सप्लायर आदित्य अग्रवाल व उनके भाई, ठेकेदार रामशरण निगम और निर्माण मार्बल के मालिक शामिल है। दरअसल लोकायुक्त जांच रिपोर्ट में स्मारकों के निर्माण में कई अहम बिंदु नहीं होने पर ईडी ने इसके दायरे से आगे जाकर जांच करने का निर्णय लिया है। इस बाबत उप्र राजकीय निर्माण निगम के एमडी राजन मित्तल से मुलाकात कर उनको एक लेटर सौंपा जिसमें स्मारकों के निर्माण के हर पहलू को समेटते हुए तमाम अहम जानकारियां मांगी है। ईडी ने स्मारकों के निर्माण को लेकर अहम फैसले लेने वाली हाई पॉवर कमेटी की मीटिंग्स के मिनट्स मुहैया कराने के साथ यह भी पूछा है कि किस मद में कितना फंड दिया गया। साथ ही निर्माण कार्य से जुड़े प्रत्येक इंजीनियर, सप्लायर व ठेकेदार का नाम और पता भी बताने को कहा है। साथ ही एक चार्ट मांगा है जिसमें ठेकेदारों को किए गये भुगतान, इसकी अनुमति देने और चेक पर साइन करने वाले अफसर का नाम तक पूछा है।

कितनी बार किया इंस्पेक्शन

ईडी ने यह भी पूछा है कि स्मारकों के निर्माण के जिम्मेदार अफसरों ने कितनी बार इंस्पेक्शन किया था। उन्होंने क्या रिपोर्ट दी थी। जांच एजेंसी ने स्मारकों की टेक्निकल ऑडिट कमेटी, इंटरनल ऑडिट और सीएजी ऑडिट रिपोर्ट भी देने को कहा है। बताते चलें कि सपा सरकार में स्मारकों की जांच का जिम्मा लोकायुक्त संगठन को दिया गया था। राज्य सरकार ने स्मारकों में लगे पत्थरों के खनन और आपूर्ति की जांच के निर्देश ही दिए थे लिहाजा लोकायुक्त संगठन की जांच भी इसके इर्द-गिर्द ही सिमटी रही। स्मारकों में लगी बेशकीमती मूर्तियां, विदेशों से मंगा कर लगाए गये महंगे पेड़-पौधे और लाइट्स इत्यादि की जांच कभी नहीं हुई। अब ईडी इन सबकी जांच भी करने जा रही है। निर्माण निगम के सूत्रों की मानें तो ईडी के लेटर में मांगी गयी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए एमडी ने एक नोडल अफसर की तैनाती की है।

कोट

ईडी ने स्मारकों के निर्माण में हुए खर्च समेत तमाम जानकारियां मांगी हैं। हमारे पास जो रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, वे ईडी को मुहैया कराने के लिए नोडल ऑफिसर को निर्देशित किया जा चुका है। हम जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं।

- राजन मित्तल, एमडी, उप्र राजकीय निर्माण निगम

इन स्मारकों का मांगा ब्योरा

- अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल

- मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल

- गौतम बुद्ध उपवन

- इको पार्क

- नोएडा का अंबेडकर पार्क

क्या-क्या जांच के दायरे में

- बेशकीमती मूर्तियां, गेट, विदेश से मंगाए गये कीमती खजूर के पेड़, करोड़ों रुपये के फाउंटेन, म्यूजिक सिस्टम, बिजली के डिजायनर खंभे, इलेक्ट्रिक वर्क पर खर्च

कब-कब क्या हुआ

- 2007 से 2012 के बीच नोएडा, लखनऊ में स्मारक और पार्को का निर्माण

- 2013 में सपा सरकार ने कराई लोकायुक्त से जांच,14 अरब का मिला घोटाला

- 199 मिले दोषी, दो पूर्व मंत्री, खनन, निर्माण निगम,पीडब्ल्यूडी के अफसर शामिल

- 01 जनवरी 2014 को विजिलेंस ने गोमतीनगर थाने में दर्ज कराया घोटाले का मुकदमा

- 31 जनवरी को ईडी ने इंजीनियर, सप्लायर और ठेकेदारों के ठिकानों पर मारा छापा

- 6000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे स्मारकों के निर्माण में

- 1400 करोड़ का घोटाला होने का दावा लोकायुक्त जांच में

- 750 एकड़ से ज्यादा सरकारी भूमि स्मारकों को दी गयी