मंगलवार को जैसे ही यूपी पुलिस उनको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची, वहां खड़े एक व्यक्ति ने उन पर स्याही फेंकने की कोशिश की. सुरक्षाकर्मियों ने फ़ौरन ही स्याही फेंकने वाले को पकड़ लिया.

स्याही फेंकने वाले शख़्स ने अपना नाम मनोज शर्मा बताया और ख़ुद को पेशे से एक वकील बताया.

इससे पहले सुब्रत रॉय लखनऊ पुलिस की हिरासत में थे. लखनऊ पुलिस उन्हें लेकर सोमवार को दिल्ली के लिए रवाना हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने रॉय के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया था. लखनऊ पुलिस को उन्हें गिरफ़्तार करके सुप्रीम कोर्ट में पेश करना था.

सहारा कंपनी के ज़रिए उनके निवेशकों के लगभग 20 हज़ार करोड रूपए न लौटाने से जुड़े इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भारत में निवेश से संबंधित मामलों पर नज़र रखने वाली संस्था सेबी को सहारा कंपनी की संपत्ति की कुर्की करने की इजाज़त दी थी.

आलोचना

सुब्रत रॉय के ग़ैर-ज़मानती वारंट की तामील और उसके बाद का घटनाक्रम अत्यंत नाटकीय रहा था.

27 फ़रवरी को जब लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र की पुलिस वारंट की तामील के लिए सहारा शहर स्थित रॉय के घर पहुँची तो वे वहाँ मौजूद नहीं थे. क़रीब दो घंटे इंतज़ार के बाद पुलिस वापस लौट गई.

28 फ़रवरी की सुबह सुप्रीम कोर्ट ने रॉय की ग़ैर-ज़मानती वारंट को वापस लेने की याचिका को ख़ारिज कर दिया था.

उसके बाद शुरू हुआ रॉय को गिरफ़्तार करने का ड्रामा. सारा दिन इंतज़ार कराने के बाद लखनऊ पुलिस ने लगभग 5.30 बजे रॉय को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आनंद कुमार यादव की अदालत में पेश किया.

अदालत ने लखनऊ पुलिस को आदेश दिया कि वो सुब्रत रॉय को चार मार्च तक सुप्रीम कोर्ट में पेश करे.

सुब्रत रॉय की हिरासत मिलने के बाद लखनऊ पुलिस ने उन्हें तत्काल सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के बजाय अपनी हिरासत में रखा. पुलिस ने उन्हें एक आलीशान गेस्ट हाउस में रखा जिसे लेकर उसकी खासी आलोचना हो रही है.

याचिका और आदेश

सुब्रत रॉय पर कोर्ट में स्याही फेंकी गई

न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए प्रभारी निरीक्षक गोमतीनगर को सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए अधिकृत किया. ऐसा करते समय न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस से सीआरपीसी की धारा 76 के तहत कार्रवाई की अपेक्षा की.

धारा 76 के अनुसार पुलिस या अन्य उस व्यक्ति को जो वारंट की तामील कर रहा हो उसे गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति को बिना अनावश्यक विलंब के अदालत के सामने प्रस्तुत करे.

साथ ही इस धारा के अनुसार अदालत के सामने पेश करने में विलंब भी 24 घंटों से अधिक देर नहीं होनी चाहिए. इसमें यात्रा का समय शामिल नहीं है.

लखनऊ पुलिस ने रॉय को सीधे दिल्ली ले जाने की बजाय उन्हें उत्तर प्रदेश के वन विभाग के कुकरैल स्थित गेस्ट हाउस में रात में ठहरने की व्यवस्था करा दी.

क्या है मामला?

यह मामला निवेशकों को उनके 20 हज़ार करोड़ रूपए नहीं लौटाए जाने से संबंधित है.

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में सेबी को निवेशकों के पैसों की वसूली के लिए कंपनी की संपत्ति की बिक्री करने की इजाज़त दी थी.

केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की खंडपीठ ने सेबी को पिछली सुनवाई में यह निर्देश दिया था कि वह निवेशकों के 20 हज़ार करोड़ रूपए की उगाही के लिए सहारा ग्रुप की संपत्ति को बेच दे.

सहारा समूह पर निवेशकों के 20 हज़ार करोड़ रूपए बक़ाया हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 में दिए गए अपने फ़ैसले में सेबी को पैसों की वसूली के लिए सहारा कंपनी की संपत्ति की कुर्की करने का आदेश दिया था.

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