RANCHI: राजधानी रांची में लगातार बढ़ रही आबादी को देखते हुए मास्टर प्लान 2037 में इनर सरकुलर रिंग रोड बनाने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे आरआरडीए ने एक साल पहले बोर्ड की बैठक में पास कराया और प्रस्ताव के क्रियान्वयन के लिए राशि की मांग करते हुए प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा गया। इस प्रस्ताव के तहत रांची में 55 किलोमीटर इनर सरकुलर रिंग रोड और 25 किलोमीटर कनेक्टिंग रोड के निर्माण पर कुल 4296 करोड़ रुपए खर्च होने थे जिसमें भूमि अधिग्रहण की राशि भी शामिल है। लेकिन अब यह प्रस्ताव नगर विकास विभाग की फाइल में बंद है, जो धूल फांक रही है। विभाग ने आज तक इस मामले में अपना नजरिया नहीं बताया है कि रिंग रोड का निर्माण होना है या नहीं। ऐसे में लगातार बढ़ रही शहरी आबादी को आने वाले समय में भयावह ट्रैफिक का सामना करना पड़ेगा।

2200 करोड़ जमीन अधिग्रहण के लिए

आरआरडीए ने 55 किलोमीटर की प्रस्तावित इनर सरकुलर रिंग रोड का असेसमेंट कराया था। इसमें जमीन अधिग्रहण पर 2200 करोड़ रुपए खर्च होने का आकलन किया गया। इसके अलावा रोड बनाने के लिए 776 करोड रुपए खर्च करने का आकलन किया गया। वहीं 25 किलोमीटर कनेक्टिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण पर 1000 करोड़ रुपए और रोड पर 319 करोड़ रुपए खर्च करने का आकलन किया गया था। प्रस्ताव में रोड के दोनों ओर 100 मीटर तक के क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनाई गई थी। प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेजा गया लेकिन विभाग ने इसे डंप कर दिया।

क्या है वजह

इनर सरकुलर रिंग रोड के निर्माण को लेकर एक ओर जहां आरसीडी के पदाधिकारी असमंजस में हैं तो दूसरी तरफ नगर विकास विभाग भी दो साल से खामोश हो गया है। नगर विकास विभाग ने दो साल पहले मेकॉन को डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी दी थी लेकिन बाद में विभाग बैकफुट पर आ गया। इसके बाद पथ निर्माण विभाग ने योजना बनाई लेकिन कागजों पर ही सिमट कर रह गई। विभागों के असमंजस की स्थिति को देखते हुए एक साल पहले आरआरडीए ने कुछ कदम आगे बढ़ाए थे लेकिन वह फिर नगर विकास विभाग की चौखट पर दम तोड़ गया।