छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : पूर्वी सिंहभूम जिले में मरीजों की जान के साथ खेल रहे झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्ती से कार्रवाई होगी। सिविल सर्जन डॉ। महेश्वर प्रसाद ने इसकी जांच कर उसपर कार्रवाई के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की है। टीम में जिला आरसीएच पदाधिकारी डॉ। साहिर पॉल, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ। अरविंद कुमाल लाल व जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ। बीएन ऊषा शामिल हैं। ये टीम शहरी क्षेत्रों में छापेमारी कर उनके खिलाफ सख्ती के साथ कार्रवाई करेगी। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की जिम्मेदारी मेडिकल ऑफिसर को दी गई है।

विभाग का मिला निर्देश

दरअसल, स्वास्थ्य सचिव निधि खरे ने झोलाछाप डॉक्टरों को चिन्हित कर उनके खिलाफ क्लिनिकल स्टैबलिसमेंट एक्ट के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के अनुसार जिले में करीब एक हजार झोलाछाप डॉक्टर तैनात हैं, जो मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। झोलाछाप चिकित्सकों की सेवाएं रात के दौरान बड़े अस्पतालों में भी ली जाती है।

बिना डिग्री के चला रहे नर्सिग होम

हाल ही में डिमना रोड स्थित शंकोसाई में एक नर्सिग होम पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान एक डॉक्टर बिना डिग्री के इलाज करते हुए पकड़े गए थे। नर्सिग होम के संचालक भी वहीं थे। इसके बाद पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया था। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी झोलाछाप डॉक्टरों की क्लिनिक धड़ल्ले से चल रही है। इनका संचालन करने वाले अधिकतर डॉक्टर के पास डिग्री भी नहीं है। इसके बावजूद ये मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

एंटीबायोटिव व इंजेक्शन का करते अधिक इस्तेमाल

झोलाछाप डॉक्टर मरीजों को बिना जांच के दवाइयां दे रहे हैं। जो मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इन चिकित्सकों की ओर से अधिकतर एंटीबायोटिक दवाी और इंजेक्शन दिए जाते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर की दवाइयों से मरीजों में होने वाले संक्रमण के कई मामले सामने आ चुके हैं। मानगो पोस्ट ऑफिस रोड के एक मरीज ने झोलाछाप चिकित्सकों की चपेट में आकर अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी थी।