-एमएनएनआईटी के रिसर्च स्कॉलर का पेपर इंटरनेशनल जर्नल फिजिकल एजुकेशन में हुआ है प्रकाशित

ALLAHABAD: अक्सर आप किसी को अपने मोबाइल से कॉल लगाते हैं तो सामने वाले के मोबाइल पर बताता है 'ऑल चैनल्स टु दिस रूट आर बिजी'। यही नहीं किसी को कॉल करते समय सीधे कॉल लग जाए, यह भी जरूरी नहीं है। क्योंकि कॉल लगने से पहले एक टोन के रूप में अक्सर बीप की आवाज सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है, यह सवाल अक्सर लोगों के दिमाग में आता है। अधिकांश समय लोग जब जल्दी में होते हैं, तब इस तरह की प्रॉब्लम से झल्लाहट भी होती है और लोगों के मुंह से यह सुनाई देता है न जाने यह प्रॉब्लम कब दूर होगी ?

सेंसिंग डिले रिडेक्शन पर किया है रिसर्च

अबवह दिन दूर नहीं जब आपको इस तरह की प्रॉब्लम से निजात मिल सकती है। इसका सॉल्यूशन कॉग्नेटिव रेडियो टेक्नोलॉजी के जरिए होना तय है। एमएनएनआईटी में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट में वायरलेस कम्यूनिकेशन से पीएचडी कर रहे विवेक राजपूत को इस तरह के विषय पर अच्छी सफलता मिली है। उन्होंने सेंसिंग डिले रिडेक्शन पर रिसर्च वर्क पूरा किया है। इससे संबंधित रिसर्च पेपर का प्रकाशन इंटरनेशनल जर्नल फिजिकल कम्यूनिकेशन में हुआ है।

और ज्यादा स्मार्ट हो जाएंगे मोबाइल

विवेक राजपूत ने बताया कि फिलहाल लोगों की पसंद स्मार्टफोन है। लेकिन स्मार्टफोन यूजर्स को अपने मोबाइल से दूसरे के मोबाइल पर कॉल करते समय कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया चूंकि मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की संख्या बहुत अधिक है। ऐसे में इस तरह की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है। विवेक बताते हैं भविष्य में जो स्मार्टफोन लोग इस्तेमाल करेंगे, उसमें कॉग्नेटिव रेडियो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।

कॉल लगाते समय नहीं होगी प्रॉब्लम

विवेक ने इस टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इसके जरिए मोबाइल टीवी फ्रीक्वेंसी बैंड्स को सेंस करेगा। उस समय यदि मोबाइल को कोई खाली चैनल मिलता है तो वह कम्यूनिकेशन लिंक के लिए उस खाली टीवी चैनल की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल कर लेगा। उन्होंने खुद के रिसर्च पेपर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने यह सिद्ध किया है कि किसी को कॉल लगाते समय जो बीप की आवाज सुनाई देती है। उस समस्या को दूर किया जा सकता है।

मोबाइल बैटरी की पावर भी बढ़ेगी

विवेक बताते हैं कि अपने रिसर्च पेपर में उन्होंने सिद्ध किया है कि रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (आरएफआईडी को टीवी के सेंटर रिसिवर पर लगाया जाए तो इससे सेंसिंग डिले कम होगा। क्योंकि इस सिस्टम के जरिए लम्बी दूरी तक टीवी ट्रांसमीटर की सेसिंग नहीं करनी पड़ेगी। बल्कि उसकी जगह लोकल रिसीवर की सेंसिंग में चैनल खाली है या नहीं, यह आसानी से पता लगाया जा सकता है। विवेक बताते हैं कि कॉग्नेटिव रेडियो टेक्नोलॉजी के यूज से मोबाइल में इस्तेमाल होने वाली बैटरी की क्षमता भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि मोबाइल के जरिए एक दूसरे से कनेक्शन के लिए जितनी कम फ्रीक्वेंसी यूज होगी, बैटरी की लाइफ और कन्ज्यूम की पावर भी उतनी ही बढ़ेगी। विवेक ने अपनी रिसर्च डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के अंडर में संचालित डाईटी के तहत पूरी की है। फिलहाल विवेक डिपार्टमेंट के प्रो। वीएस त्रिपाठी के अंडर में रिसर्च कर रहे हैं।

खाली टीवी चैनल की फ्रीक्वेंसी होगी यूज

-इस टेक्नोलॉजी के जरिए टीवी चैनल्स की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करके किसी दूसरे को कॉल करने की स्थिति में बिना किसी परेशानी के सीधे कनेक्ट हो सकेंगे।

-आज टीवी यूजर्स की संख्या मोबाइल यूजर्स की तुलना में काफी कम है।

-टीवी पर बहुत सारे चैनल्स ऐसे होते हैं, जिन्हें लोग नहीं देखते।

-ऐसे में नो यूज्ड चैनल्स की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल कॉग्नेटिव रेडियो टेक्नोलॉजी बेस्ड मोबाइल में हो सकेगा।