इस्लामाबाद (पीटीआई)। पनामा पेपर्स केस की जांच कर रही संयुक्त जांच समिति (जेआइटी) में मिलिट्री इंटेलिजेंस और आइएसआइ अधिकारियों को शामिल करने पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इसे मामले को रोचक बनाने की कोशिश करार दिया है। पीठ ने खुफिया अधिकारी को जांच समिति से हटाने के आदेश के साथ ही सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी। बता दें कि इसी मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी करार देते हुए उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है।

छह अफसर किये गए शामिल  
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार ने संघीय जांच एजेंसी के महानिदेशक बशीर मेमन से जब जेआइटी में शामिल किए अफसरों के संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि इसमें छह अफसर शामिल किये गए हैं। इसके बाद जब पीठ ने उनके नाम पूछे तो मेमन ने बताया कि इनमें से एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर नोमान सईद हैं। फिर जब पीठ ने सईद के विभाग के बारे में पूछा तो जांच एजेंसी ने बताया कि वे आइएसआइ से हैं।

फर्जी लेनदेन के बारे में सुनवाई

इसके जवाब में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नवाज शरीफ से जुड़े पनामा मामले में खुफिया एजेंसी के अधिकारी को शामिल करना और कुछ नहीं, बल्कि इस पूरे मामले को रोचक बनाने की कोशिश है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने यह टिप्पणी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और उनकी बहन फरयाल तालपुर के स्वामित्व वाले जरदारी समूह के खाते से 35 अरब रुपये के फर्जी लेनदेन के बारे में सुनवाई करते हुए दी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था।

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