दुर्घटना के बाद यात्री को सुरक्षित निकाला जा सकेगा
बेंगलुरु (पीटीआई)।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने गुरुवार को एक ऐसे कैप्सूल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिसके जरिये किसी भी अंतरिक्ष यात्री को स्पेस फ्लाइट में दुर्घटना के बाद सुरक्षित निकाला जा सकेगा। इसरो के मुताबिक, इस कैप्सूल को स्पेस फ्लाइट के साथ भेजा जायेगा, यदि फ्लाइट में किसी भी प्रकार का हादसा होता है तो उस स्थिति में 'क्रू एस्केप सिस्टम' नाम का यह कैप्सूल स्पेसक्राफ्ट से अलग हो जाएगा और पैराशूट की मदद से पानी या जमीन तक पहुंच जाएगा।

यह था पहला अभियान अभी कई स्टेप्स बाकी
इसरो ने कहा कि क्रू एस्केप सिस्टम की विश्ववसनीयता और प्रभावशीलता को जांचने का यह पहला अभियान था। अभी परिक्षण के कई स्टेप्स बाकी हैं।' इसरो के चेयरमैन ए.एस. किरण कुमार ने बताया कि क्रू एस्केप सिस्टम मॉड्यूल को श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह सात बजे छोड़ा गया, परीक्षण करीब 259 सेकंड चला। टेस्टिंग के दौरान कैप्सूल कुछ देर तक हवा में रहा और बंगाल की खाड़ी में गिरने के बाद वह पानी में 2.9 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए श्रीहरिकोटा फिर से पहुंच गया।

300 सेंसर्स ने परीक्षण को किया रिकॉर्ड
किरण कुमार ने ये भी बताया कि यह सिस्टम भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन में एक खास भूमिका निभाएगा। इस पहले परीक्षण में मुख्यतः यह पता लगाने की कोशिश की गई कि यदि अंतरिक्ष यान में किसी भी प्रकार की दुर्घटना होती है तो ये क्रू सिस्टम यात्री को कैसे सुरक्षित बाहर निकाल सकता है। जानकारी के मुताबिक, मिशन के तहत विभिन्न मापदंडों पर करीब 300 सेंसर्स ने इस परीक्षण को रिकॉर्ड किया। इस दौरान तीन रिकवरी बोट भी तैनात थे।

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