- लखनऊ के होटल्स में 5 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद डीजे आई नेक्स्ट ने सिटी के होटल्स का रिएलिटी चेक

- ज्यादातर होटल्स में नहीं है इमरजेंसी डोर, आग या भूकंप की स्थिति में कस्टमर्स की जान मुश्किल में पड़ना तय

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द्मड्डठ्ठश्चह्वह्म: लखनऊ में शॉर्टसर्किट से लगी आग में दो होटल्स जलकर खाक हो गए। इस दर्दनाक घटना में 5 लोगों ने अपनी जान गवां दी। इस हादसे के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कानपुर के होटल्स में आग से सुरक्षा के इंतजामों को परखने के लए होटल्स का रिएलिटी चेक किया। जिसमें बेहद चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। अगर इन होटल्स में आग लगी तो कस्टमर्स की जान का मुश्किल में पड़ना तय है। क्यों कि ज्यादातर होटल्स में इमरजेंसी एग्जिट गेट ही नहीं हैं। मतलब साफ है कि इन होटल्स में आग लगने पर लोगों को 'मौत' से बचने का रास्ता नहीं मिलेगा

ये कैसे होटल्स?

बर्रा थानाक्षेत्र स्थित नामी होटल में ग्राहकों को कमरे मिलने के साथ ही यहां मांगलिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। होटल के अंदर पहुंचने और बाहर आने का सिर्फ एक ही सीढि़यों वाला रास्ता दिखा। फायर फाइटिंग के उपकरण भी लगे थे, लेकिन किसी में स्टूमेंट कार्यशीलता का प्रमाणपत्र नहीं दिखा। साकेत नगर स्थित मशहूर होटल में हमने एक कर्मचारी से मैनेजर से मिलाने को कहा, तो उसने उनके न होने की बात कही। इस होटल में मांगलिक कार्यक्रमों के लिए दो हॉल, बार और रूम्स की सुविधा उपलब्ध है। होटल परिसर में इंट्री और एग्जिट के लिए दो गेट दिखे। जबकि, होटल के अंदर सिर्फ एक ही सीढि़यों वाला रास्ता दिखा। यहां भी फायर फाइटिंग के उपकरणों में कार्यशीलता प्रमाणपत्र नहीं दिखा।

इसके बाद हमारी टीम गोविंदनगर स्थित होटल पहुंची। यहां जब हम रिएलिटी चेक के लिए अंदर जाने लगे तो मैनेजर ने रोक लिया। उन्होंने मालिक की उपस्थिति में ही अंदर ले जाने की बात कही। हालांकि, बाहर से इस होटल में भी किसी प्रकार का कोई इमरजेंसी डोर नजर नहीं आया। चीफ फायर ऑफिसर एमपी सिंह ने बताया कि घंटाघर और उसके आसपास के 90 प्रतिशत एरियाज में बने होटल्स में सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए हैं। फायर विभाग इन पर कार्रवाई नहीं कर पाता है क्योंकि ये जिला प्रशासन के तहत आते हैं।

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हमार मकसद किसी होटल को टारगेट करना नहीं बल्कि वहां की स्थितियों को उजागर करते हुए संबंधित विभाग और प्रशासन को अलर्ट करना है। जिससे यहां आग से लड़ने और दूसरे जरूरी इंतजाम किए जा सकें और लखनऊ के होटल्स जैसी स्थिति बनने पर किसी कस्टमर की इस तरह जान न जाए। इसलिए हमने खबर में किसी होटल का नाम नहीं दिया है।

होने चाहिए ये मानक पूरे-

- सेट बैक (होटल के चोरों ओर खुला स्थान होना जरूरी)

- होटल में कम से कम दो चौड़ी और ढलान युक्त सीढि़यां।

- फायर स्केप, होटल में इमरजेंसी बाहरी सीढ़ी जरूरी।

- आग लगने पर बजने वाला अलार्म जरूरी।

- होजरिल (यह इंस्ट्रूमेंट आग बुझाने में सहायक होता है)।

- होटल परिसर में या आसपास फायर हाइड्रेंट जरूरी।

- फायर रोधी यंत्रों की जांच का होना चाहिए प्रमाणपत्र।

- होटलों के कमरों में एयर पासिंग व खिड़की का इंतजाम।

- दिन और रात के वक्त होटल में सुरक्षा गार्डो की उपस्थिति।

- होटल तक फायर गाड़ी पहुंचने का सुगम मार्ग जरूरी।

फायर विभाग के मुताबिक

इन होटल्स को छूट

चीफ फायर ऑफिसर एमपी सिंह के अनुसार 2005 से पहले बने होटल्स और बिल्डिंग्स को सेट बैक में छूट का प्रावधान है। इसके बाद जो भी निर्माण हुए है, उन्हें मानकों को पूरा करना जरूरी है। समय-समय पर इनकी जांच कर नोटिस दिया जाता है।

इस तरह मिलती है एनओसी

सीएफओ एमपी सिंह के अनुसार फायर विभाग की एनओसी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद आवेदन रसीद के साथ चार प्रतियों में फायर प्लान के साथ सारे प्रमाणपत्र देने पड़ते हैं। यह प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद फाइल उनके पास पहुंचती है। वह अपने स्तर से एप्लीकेंट के दावों और प्रतिष्ठानों एवं घरों की गहन जांच करते हैं। पड़ताल में मानक पूरे होने के बाद फायर विभाग की एनओसी जारी की जाती है।

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वर्जन-

शहर के अधिकांश होटल फायर डिपार्टमेंट के मानकों को पूरा नहीं करते हैं। घंटाघर जैसी जगह पर तो स्थित लगभग सभी होटल्स में सेटबैक नहीं है। हम किसी भी होटल को एनओसी देने से पहले उसकी गहनता से जांच करते हैं। इसके बाद ही उन्हें एनओसी दिया जाता है। हमारे पास पावर नहीं हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले होटल्स के खिलाफ कार्रवाई कर सकें।

- एमपी सिंह, सीएफओ

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इसको भी जान लीजिए

- कानपुर के 75 परसेंट होटल्स के पास नहीं है फायर डिपार्टमेंट की एनओसी

- 1000 से अधिक होटल्स हैं कानपुर शहर के विभिन्न एरियाज में

- 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से ज्यादा और 15 मीटर की हाइट तक बनी बिल्डिंग्स आती हैं फायर डिपार्टमेंट के अंडर में

नोट-डाटा फायर डिपार्टमेंट के अनुसार