- पलामू के पांकी थाना एरिया के गोपालडीह गांव में पुलिस ने घर से खींच कर युवक को मारी गोली

- अपोलो अस्पताल में चल रहा है इलाज, लोगों में आक्रोश रोड जाम

- एसपी ने किया थाना प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मियों को सस्पेंड

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kuber@inext.co.in

RANCHI : झारखंड के पलामू डिस्ट्रिक्ट के पांकी थाना एरिया के गोपालडीह गांव में थर्सडे की रात पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में डोमन सिंह यादव को घर से खींच कर गोली मार दी। जख्मी डोमन सिंह यादव का इलाज इरबा स्थित अपोलो अस्पताल में किया जा रहा है। जहां उसकी हालत चिंताजनक है। फर्जी मुठभेड़ के बाद ग्रामीणों ने घंटों रोड जाम कर दिया। जामकर्ता पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों का कहना था कि डोमन को जानबूझकर नक्सली समर्थक घोषित करते हुए गोली मार दी गई। मामले को तूल पकड़ता देख पलामू एसपी वाईएस रमेश ने पांकी थाना प्रभारी हरीश पाठक समेत कई पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है और टाउन डीएसपी को निष्पक्ष जांच का आदेश दिया है।

झारखंड में ख्8 मामले

झारखंड में फर्जी मुठभेड़ का यह पहला मामला नहीं है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, फर्जी मुठभेड़ मामले में झारखंड पूरे देश में आठवें पोजिशन पर है। यहां पर अबतक ख्8 फर्जी एनकाउंटर के मामले पाए गए हैं, जिनकी सुनवाई मानवाधिकार आयोग और हाईकोर्ट में लंबित है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, पूरे देश में हुए फर्जी मुठभेड़ों में झारखंड आठवें पायदान पर है। इनमें पहले नंबर पर यूपी 7क्म्, आंध्रप्रदेश में 7फ्, बिहार में 79, महाराष्ट्र में म्क्, मध्य प्रदेश में फ्म्, पंजाब फ्क्, उत्तराखंड में ख्9, झारखंड में ख्8 असम में क्क् सहित कई मामले श्ामिल हैं।

गढ़वा में मारे गए थे दो युवक

ख्00फ् में उत्तरप्रदेश के सोनभद्र में गढ़वा के बीएससी के छात्र प्रभात कुमार और उसके दोस्त रमाशंकर साहू को शातिर बदमाश बताकर पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार डाला था। वर्ष ख्009 में लंबी सुनवाई के बाद फास्ट ट्रैक अदालत ने दोनों युवकों की हत्याकांड के मामले में पांच पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर भ्0 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक जुर्माना भी लगाया था।

काश, इनसे सबक सीख पाते

तीन जुलाई, ख्009 में उत्तराखंड के देहरादून में सीबीआई के स्पेशल जज जेपीएस मल्लिक ने क्7 पुलिसकर्मियों को एमबीए के छात्र रणवीर की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। रणवीर के पिता रवींद्र सिंह की याचिका पर मामले को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली स्थानांतरित किया था। ख्ख् वर्षीय रणवीर गाजियाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रहा था। उत्तराखंड पुलिस पर आरोप था कि उसने रणवीर को मोहिनी रोड पर पकड़ा था। पुलिस उसे अपराधकर्मियों के साथ योजना बनाने की दलील दी थी, जबकि रणवीर नौकरी की तलाश में देहरादून गया था। झारखंड के पुलिसकर्मियों को इस घटना से भी सबक लेनी चाहिए।

ऑपरेशन के नाम पर पिटाई

पहले भी आम नागरिक माओवादी या माओवादियों के समर्थक होने के जुर्म में पीटे गए और जुल्म सहना पड़ा। मनोहरपुर थाना क्षेत्र के दीघा पंचायत के गांव तिरिलपोसी गांव के ग्रामीण हैवानियत के शिकार हो चुके हैं। तीन अगस्त, ख्0क्क् को सैकड़ों की तादाद में सीआरपीएफ के जवानों के बटालियन ने धावा बोला था। हमले के बाद गांव में जो भी जंगल की ओर नहीं भाग पाया। उसे पकड़ कर पीटा गया था और औरतों के साथ बदसलूकी भी की गई थी।

और राजेंद्र की हो गई थी मौत

फ्0 दिसंबर, ख्009 को तेलाडी गांव के राजेंद्र यादव को पुलिस उठाकर ले गई थी। उसे छतरपुर थाना ले जाया गया। उस वक्त पलामू एसपी जतिन नरवाल थे। एसपी आवास जाने के बाद राजेंद्र यादव का शव मिला था। शव का पोस्टमार्टम सदर अस्पताल में कराया गया था, डॉक्टरों की टीम ने उसकी मौत का कारण पेट की बीमारी बताई। जब राजेंद्र यादव का दोबारा पोस्टमार्टम रिम्स में परिजनों के दबाव में कराया गया तो रिपोर्ट में उसकी मौत कंटीन्यू पिटाई से हुई थी। राजेंद्र यादव की पत्‍‌नी अभी भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठी है।

महिला समेत तीन बच्चों की हत्या

ख्7 अप्रैल, ख्0क्0 को ऑपरेशन ग्रीनहंट के दौरान गारू थाना एरिया के लादी गांव के जसिंता देवी समेत उसके तीन बच्चों को पुलिस ने मार गिराया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि जसिंता माओवादियों के लिए संतरी का काम करती थी। वहां नक्सलियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। क्रॉस फायरिंग में जसिंता और उसके बच्चों की मौत हो गई। वहीं, छानबीन में यह पता चला था कि जसिंता देवी चरवाहा पूरण को बुलाने गई थी। इसी क्रम में जब वह वापस आंगन में लौटी तो उसे गोलियों से छलनी कर दिया गया। पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में इसे क्रॉस फायरिंग बताया गया, जबकि वहां क्रॉस फायरिंग के कोई निशान जांच दल को नहीं मिले थे।