सबहेड : हंगामे के बीच 2596.86 करोड़ का पहला अनुपूरक बजट पेश

-छह दिनों के सत्र में दो दिन ऐसे ही हो गए बर्बाद

-सत्ता पक्ष सुखाड़, विपक्ष की भूमि कानून पर बहस की मांग

रांची : झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने अपने तेवर दिखा दिए थे। स्पीकर डा। दिनेश उरांव ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाकर सदन को सुचारू रूप से चलाने का जहां अनुरोध किया, वहीं मंगलवार को दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही सदन चलाने को लेकर सकारात्मक रवैया अपनाने की अपील भी विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के विधायकों से की। लेकिन सदन में इसका कोई असर नहीं पड़ा। स्थिति यह हुई कि दूसरे दिन महज बीस मिनट तक चली कार्यवाही में जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगे। हंगामा हुआ और विपक्ष और पक्ष दोनों के विधायक वेल में पहुंच गए।

सात मिनट में स्थगित

हंगामे को देखते हुए स्पीकर को महज सात मिनट में सदन की कार्यवाही साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही दूसरी बार शुरू हुई तो झामुमो के विधायक भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून वापस लेने को लेकर हाथ में तख्तियां लिए खड़े हो गए। बाद में वे नारेबाजी करते हुए वेल में भी आ गए। उनका साथ कुछ कांग्रेस विधायकों ने भी दिया। इसपर कुछ भाजपा विधायक भी पलटवार करते हुए सुखाड़ पर विशेष बहस कराने की मांग को लेकर वेल में पहुंच गए। लगभग पांच मिनट बाद स्पीकर दोनों पक्षों के विधायकों को अपनी सीट पर बैठाने में सफल तो रहे लेकिन सदन चला नहीं सके। सदन की कार्यवाही बुधवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर देनी पड़ी। इस बीच प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने इस वित्तीय वर्ष का 2596 करोड़ 86 लाख 23 हजार रुपये का पहला अनुपूरक बजट पेश किया। सदन नहीं चलने को लेकर जहां सत्ता पक्ष के विधायकों ने विपक्ष पर हठधर्मिता अपनाने का आरोप लगाया, वहीं विपक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा द्वारा गलत भाषा का प्रयोग करने तथा विपक्ष को जानबूझकर उकसाने का आरोप लगाया।

टीएसी में विपक्ष ने भी दी थी सहमति

संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने सदन में कहा कि भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक लाने का प्रस्ताव जनजातीय परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की बैठक में रखा गया था तो विपक्ष के कई सदस्यों ने उसपर सहमति दी थी। उनके हस्ताक्षर भी हैं। अब विपक्ष घडि़याली आंसू बहा रहा है। विपक्ष ही सदन नहीं चलने देने के लिए जिम्मेदार है। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पर जनता को भ्रमित करने का काम कर रहा है। मंत्री के इस वक्तव्य के बाद ही झामुमो विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया।

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निरस्त करें भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन : हेमंत

नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि वे भी चाहते हैं कि सदन चले। लेकिन विपक्ष करे तो क्या करे? अपनी बात कहां रखे? यहां तो सरकार अपनी ही योजनाओं पर सवाल उठा रही है। सीएनटी-एसपीटी, स्थानीयता जैसे मुद्दों पर सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए वापस लिया। उसी तरह, भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून वापस ले। स्पीकर नियमन लाते हुए उसे निरस्त कराएं।

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अनुपूरक बजट में किस विभाग के लिए कितना

ऊर्जा : 20,000.00

स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण : 4839.78

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता : 3133.66

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता : 4649.58

उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास : 2436.62

नगर विकास एवं आवास : 9884.87

जल संसाधन : 31040.68

पथ निर्माण : 3.39

गृह, कारा : 31,347.17

आपदा प्रबंधन : 37.76

ग्रामीण विकास : 8941.18

योजना सह वित्त विभाग : 20,770.07

पेयजल एवं स्वच्छता : 1824.00

राजस्व एवं भूमि सुधार : 150.56

उद्योग : 4.44

वाणिज्यकर विभाग : 683.11

वन एवं पर्यावरण : 1575.00

खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले : 942.80

सूचना तकनीक : 173.00

परिवहन विभाग : 22.00

श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण : 26.10

विधि :121.00

झारखंड उच्च न्यायालय : 198.02

कल्याण : 17679.90

ग्रामीण कार्य : 42514.10

पंचायती राज : 6000.00

मत्स्य : 270.50

विधानसभा : 27.00

झारखंड लोक सेवा आयोग : 50.00

राज्यपाल सचिवालय : 79.32

मंत्रिमंडल निर्वाचन : 12.63

मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी : 4.00

उत्पाद एवं मद्य निषेध : 1.70

(नोट : राशि लाख रुपये में)