राहुल दिल्ली से पटना आ रहे थे। पटना एयरपोर्ट पर लैंड करते वक्त उन्हें कुछ झटका महसूस हुआ। वहीं, स्वाति जब कोलकाता से पटना लौट रही थी। उसने भी लैंडिंग के वक्त एक झटका फील किया, जिसके बाद डर के मारे उसकी धड़कन तेज हो गई। लैंडिंग के वक्त ऐसा झटका कई पैसेंजर्स ने फील किया है। एक्चुअली, लैंडिंग के टाइम पायलट को इमरजेंसी ब्रेक मारना पड़ता है। पटना एयरपोर्ट के रनवे पर लैंडिंग के टाइम यह पायलट के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। प्लेन को सुरक्षित लैंड कराने के लिए इमरजेंसी ब्रेक लगाने के अलावा पायलट के पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं बचता है।

तो रनवे से आगे निकल जाएगी फ्लाइट  

पटना एयरपोर्ट पर हर दिन 14 फ्लाइट का आना-जाना होता है। कई जगहों के लिए डायरेक्ट उड़ान है, तो कई जगह के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट। टेकऑफ करते टाइम नॉर्मली फ्लाइट उड़ान भर लेती है, पर लैंडिंग के टाइम अधिकांश फ्लाइट्स के पायलट को इमरजेंसी ब्रेक मारना पड़ता है। स्पीड को अचानक से कम नहीं करने से लैंड करने में प्रॉब्लम होती है। अपनी रीयल स्पीड से अगर फ्लाइट लैंड करती है, तो फिर रनवे से भी आगे जाकर रुकेगी। ऐसा 75 परसेंट लैंडिंग के दौरान होता है।

रनवे की लंबाई मात्र 2072 मीटर

किसी भी पायलट के लिए पटना एयरपोर्ट पर फ्लाइट को लैंड करना सबसे बड़ा चैलेंज होता है। यहां के रनवे की लंबाई मात्र 2072 मीटर है। रनवे के लिए जितना लैंड होना चाहिए, उतनी ही यहां के रनवे की लंबाई है, इसलिए इसे क्रिटिकल रनवे भी कहा जाता है। लैंड कराते वक्त किसी भी पायलट के लिए सबसे जरूरी यह होता है कि जहां धरती से टच होना चाहिए, वहीं टच करे। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ता है।

हवा की स्पीड का भी असर

लैंडिंग के वक्त हवा की स्पीड और दिशा का काफी असर पड़ता है। एक्सपर्ट की मानें, तो लैंडिंग के वक्त हवा की स्पीड के प्रेशर के कारण अधिकांश टाइम एयर क्राफ्ट उस प्वाइंट को टच नहीं कर पाता है। वह 100 से 200 मीटर पर धरती को टच कर पाता है। रनवे की पूरी दूरी को पूरा करने के लिए पायलट को इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ता है।

हो सकती है दिल की बीमारी

किसी भी नॉर्मल इंसान को अगर अचानक से झटका लगे, तो इसका बुरा इफेक्ट पड़ता है। डॉक्टर्स की मानें, तो अचानक से लगे झटके से हार्ट डिजीज के साथ धड़कन की बीमारी भी हो सकती है। ऐसे में 200 नॉटिकल माइल प्लेन की स्पीड में बैठे पैसेंजर्स को अचानक से झटका लगे, तो वह नुकसान दायक होता है।

पटना छोड़ कहीं नहीं लगता है झटका

इंडिया के किसी भी रनवे पर इस तरह का झटका नहीं लगता है। दरअसल हर एयरपोर्ट का रनवे बड़ा है और वहां पायलट आसानी से फ्लाइट को थोड़ा आगे भी लेकर चला जाता है। दिल्ली के रनवे की लंबाई 12000 मीटर से अधिक है, जबकि पटना में मात्र 2072 मीटर।

कोट

इमरजेंसी ब्रेक इमरजेंसी के टाइम ही लगाया जाता है। अभी एक साल पहले ही हमारे रनवे का काम पूरा हुआ है। हालांकि इस तरह की कंप्लेन आने पर फौरन देखा जाएगा।

अरविंद दूबे, डायरेक्टर, पटना एयरपोर्ट