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RANCHI: रिम्स में मरीजों का इलाज करने वाले जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल की राह पकड़ ली है. इससे शुक्रवार को ओपीडी से लेकर इनडोर तक मरीज इलाज कराने के लिए बेहाल रहे. स्ट्राइक के चलते दर्जन भर मरीजों का ऑपरेशन भी टाल दिया गया. हालांकि इमरजेंसी को हड़ताल से मुक्त रखा गया है. जूनियर डॉक्टर्स ने वेस्ट बंगाल में एक मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स के साथ की गई मारपीट के विरोध में यह कदम उठाया है. रिम्स समेत झारखंड के तीनों मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर इस स्ट्राइक में शामिल हैं.

ऑपरेशन को अब अगली डेट
अलग-अलग विभागों में शुक्रवार को चार दर्जन आपरेशन किए जाने थे. लेकिन जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से ये आपरेशन टाल दिया गया. अब इन मरीजों को आपरेशन के लिए अगली डेट दी जाएगी. वहीं आपरेशन होने तक अब इन्हें हॉस्पिटल में ही रुकना पड़ेगा. वहीं इस चक्कर में परेशानी जो होगी वो अलग से.

मरीजों की लगी रही लंबी लाइन
हॉस्पिटल के ओपीडी में अन्य दिनों की तरह शुक्रवार को भी मरीजों की लंबी लाइन लगी थी. वहीं इनडोर में भी काफी संख्या में मरीजों का इलाज चल रहा है. लेकिन जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर देखने को मिला. सीनियर डॉक्टर ओपीडी में मरीजों को देखने में लगे थे. इनडोर में भी सीनियर डॉक्टरों ने ही मोर्चा संभाले रखा.

एक्सरे न होने से लौटे मरीज
रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में भी हड़ताल ने मरीजों को परेशान किया. इस दौरान सुबह में तो मरीजों की भीड़ रही. लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही वहां के डॉक्टर भी हड़ताल के समर्थन में चले गए. इसके बाद एक्सरे का भी बंद कर दिया. इससे लगभग 250 मरीजों का एक्सरे नहीं हो सका. यही नहीं अल्ट्रासाउंड न होने से भी मरीजों को लौट जाना पड़ा.

आईएमए, झासा का मिला सपोर्ट
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और झासा का भी सपोर्ट मिला. ऐसे में सदर हॉस्पिटल के अलावा प्राइवेट के डॉक्टरों ने भी मरीजों का इलाज नहीं किया. वहीं जूनियर डॉक्टरों के साथ मिलकर प्रोटेस्ट मार्च भी निकाला. डॉक्टरों का कहना था कि बिना सिक्योरिटी के वे लोग भी मरीजों का इलाज नहीं करेंगे. इसलिए झारखंड में भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू होना चाहिए. सरकार से इसे जल्दी लागू कराने की मांग की गई.

मिनिस्टर की भी नहीं माने बात
सुबह अचानक रिम्स पहुंचे हेल्थ मिनिस्टर रामचंद्र चंद्रवंशी ने भी डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने से मना किया था. साथ ही कहा था कि जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट का मामला बंगाल का है. इसलिए बंगाल में विरोध हो रहा है. लेकिन यहां तो जूनियर डॉक्टरों को ऐसा नहीं करना चाहिए. इसके बाद भी वे लोग हड़ताल पर चले गए.