जिला महिला चिकित्सालय में मिलेगी नि:शुल्क सुविधा

प्रदेशभर के सभी जिलों में लागू की जाएगी योजना

>Meerut । प्री-मेच्योर और कुपोषित नवजातों को मौत के मुंह से बचाने के लिए कंगारू मदर केयर थेरेपी वरदान है। जिला महिला अस्पताल में पैदा होने वाले नवजातों को भी अब इस थेरेपी का लाभ मिल सकेगा। इसके लिए अस्पताल में अलग से वार्ड तैयार किया जा रहा है। प्रदेश भर के सभी जिलों के महिला चिकित्सालयों में एक जैसे सेटअप पर यह सुविधा शुरु की जा रही है। नए साल में इसकी शुरुआत की जाएगी।

वार्ड हो रहा तैयार

जिला महिला अस्पताल में कंगारू मदर केयर थेरेपी प्रोवाइड करवाने के लिए अलग से यूनिट तैयार हो रही है। खास बात यह है कि सभी जिलों के महिला अस्पताल में यह वार्ड एक जैसे रंग-रूप में तैयार हो रहा है। इसके लिए सभी जगह एक जैसे पेंट, कलर थीम और डिजाइन को चुना गया है। फिलहाल इसमें 6 बेड लगाए गए हैं, साथ ही चार विशेष प्रकार की कुर्सियां भी लाई गई हैं, करीब ढाई लाख के बजट से तैयार यह वार्ड जल्द चालू हो सकता है।

ऐसे हाेगा फायदा

समय से पहले जन्म लेने वाले नवजातों में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। ऐसे में इन्हें आक्सोपॉक्सिया व हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। विशेष देखभाल न होने पर 40 दिन के भीतर उनकी मौत भी हो सकती है। ऐसे बच्चों को अगर लगातार मां की त्वचा का स्पर्श मिलता है तो उनके रिकवर होने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं। ऐसे नवजातों को मां के साथ इस वार्ड में रखा जाएगा। यहां एक बार में कम से कम एक घंटा तथा एक दिन में 6 से 8 घंटे मां अपने नवजात को कंगारू थेरेपी दे सकती हैं।

यह है स्थिति

जिला महिला अस्पताल में हर महीने तीन सौ से ज्यादा डिलीवरी होती हैं, जिसमें सामान्य और अॅापरेशन से प्रसव होते हैं। हर साल सौ से ज्यादा बच्चे ऐसे पैदा होते हैं, जिन्हें कंगारू मदर केयर थेरेपी की जरूरत होती है। यह नवजात नौ महीने की बजाय 6 या 7वें महीने में पैदा होते हैं। समय से पहले जन्में होने की वजह से ऐसे नवजातों की लंबाई बहुत कम होती है। औसतन वजन भी ढाई किलो की बजाय 1.80 से दो किलो तक होता है।

कंगारू मदर केयर यूनिट को तैयार करवाया जा रहा है। सभी जिलों में एक साथ इसकी शुरुआत होनी है। जनवरी के पहले सप्ताह में शुरु होने की संभावना है।

डॉ। मनीषा वर्मा , एसआईसी, जिला महिला अस्पताल