फुटबॉल के लिए क्रेजी हुआ कानपुर
-कानपुराइट्स पर भी चढ़ा फीफा वर्ल्ड कप का फीवर, कोचिंग कैंप्स में बढ़ी भीड़, मैदान पर मैच दिखाने की व्यवस्था
-ग्रीनपार्क, पालिका स्टेडियम और कानपुर स्पोर्ट्स एकेडमी में इन दिनों फुटबॉल का फीवर सिर चढ़कर बोल रहा
KANPUR (13 June): फीफा वर्ल्ड कप 2018 का आगाज गुरुवार को रूस में होने जा रहा है, लेकिन इसकी खुमारी कानपुर जैसे टियर-3 सिटी में भी महसूस की जा रही है। क्रिकेट के दीवाने इस शहर में फुटबॉल वर्ल्ड कप के नजदीक आते ही फुटबॉल को लेकर खासा क्रेज पैदा हो गया है। शहर के गिने-चुने फुटबॉल मैदानों पर अचानक से खिलाडि़यों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। कोच व्यस्त हो गए हैं। मैदान पर ही बच्चों को मैच दिखाने की व्यवस्था की जा रही है। कुछ टूर्नामेंट भी पाइपलाइन में हैं। खिलाडि़यों से इतर फैंस भी वर्ल्ड कप को लेकर बेताब हैं। वो इस गुणा भाग में लगे हैं कि इस बार उन्हें किसका सपोर्ट करना है।
बच्चों में खासा उत्साह
यूं तो इन दिनों शहर में क्रिकेट के कई इवेंट्स होने हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्रीनपार्क, पालिका स्टेडियम और कानपुर स्पोर्ट्स एकेडमी में इन दिनों फुटबॉल का फीवर सिर चढ़कर बोल रहा है। ग्रीनपार्क में कोच आरडी पाल की देखरेख में 25 से 30 बच्चे फुटबॉल की ट्रेनिंग कर रहे हैं, जबकि कई और बच्चे फुटबॉल सीखना चाहते हैं। हालांकि मैदान पर अन्य खेलों की गतिविधियों के चलते फिलहाल उन्हें मना कर दिया गया है। यही हाल पालिका स्टेडियम का भी है, जहां कोच मनीष की देखरेख में तकरीबन 50 बच्चों का ट्रेनिंग कैंप जारी है। आर्यनगर के कानपुर स्पोर्ट्स फाउंडेशन एकेडमी में नाइट मैच कराने की तैयारी की गई है और जल्द ही यहां स्क्रीन पर मैच भी दिखाया जाएगा।
अमेरिका से आई रूसी जर्सी
कानपुर स्पोर्ट्स फाउंडेशन से जुड़े जय बजाज के लिए उनका बेटा अमेरिका से रूस की ऑफिशियल जर्सी लेकर आया है। जय बजाज का पूरा परिवार ही फुटबॉल को लेकर पैशनेट है। उनका छोटा बेटा भी कनाडा में फुटबॉल खेलता है। खुद जय बजाज रूस में फीफा वर्ल्ड कप देखने जाने वाले थे, लेकिन किसी कारण से उन्हें प्लान कैंसल करना पड़ा। पिछले साल भारत में हुए अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप के लिए उनकी संस्था ने 5 बच्चों को फाइनल मैच देखने के लिए भी भेजा था।
मेसी और रोनाल्डो पसंदीदा
अर्जेटीना के स्टार खिलाड़ी लियोनल मेसी और पुर्तगाल के कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो हर किसी की जुबान पर चढ़े हुए हैं। इनकी पॉपुलैरिटी इस कदर है कि ज्यादातर बच्चे इन्हें ही जीतते हुए देखना चाहते हैं। हालांकि जिन्हें फुटबॉल की समझ है, वो ब्राजील और जर्मनी जैसी टीमों को फेवरिट मान रहे हैं। फुटबॉल के शौकीन इमरान सिद्दिकी के मुताबिक, मेसी और रोनाल्डो कभी अपनी टीम को वर्ल्ड कप नहीं जिता सके। वहीं ब्राजील की तेजी और जर्मनी का सॉलिड प्लान उन्हें इस वर्ल्ड कप में फेवरिट बनाता है। इमरान की तरह कई अन्य फैंस भी हैं, जो फ्रांस, इंग्लैंड और उरूग्वे को भी सपोर्ट कर रहे हैं।
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स्कूलों तक सिमटा फुटबॉल
कानपुर का फुटबॉल इतिहास काफी समृद्ध रहा है। एक समय टेफ्को के मैदान ने भारत को कई खिलाड़ी दिए, लेकिन इसके बाद मैदानों की कमी, एसोसिएशन की उपेक्षा और टूर्नामेंट्स के अभाव में इसके प्रति रुचि कम होती चली गई। मौजूदा दौर में कुछ गिने-चुने क्लब ही फुटबॉल खेलते हैं, लेकिन लगातार टूर्नामेंट नहीं होने से प्रोफेशनल फुटबॉलर्स में भारी कमी आई है। साथ ही अच्छे कोचेस की कमी भी इस खेल में आई गिरावट की असल वजह है। कह सकते हैं कि अब यह खेल स्कूलों में सिमटकर रह गया है, जहां मैदान भी हैं और कोच भी। शीलिंग हाउस, केडीएमए, पूर्णचंद्र विद्यानिकेतन और डीपीएस जैसे स्कूल समय-समय पर इंटर स्कूल टूर्नामेंट्स के जरिए इसका रोमांच बनाए हुए हैं।