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KANPUR: हिंदी सिनेमा की कई क्लासिक फिल्मों का गवाह रहा आइकॉनिक आरके स्टूडियो कुछ महीनों बाद बस एक याद बनकर रह जाएगा। क्योंकि कपूर भाइयों ने इसे बेचने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि घटती आमदनी, बढ़ते खर्च और रखरखाव में मुश्किल को देखते हुए कपूर परिवार ने ये फैसला किया है।
रखरखाव में आ रही परेशानी
सत्तर साल पहले बने आरके स्टूडियो की घटती आमदनी की वजह से कपूर परिवार को इसके रखरखाव में काफी मुश्किलें आ रही हैं जिसकी वजह से परिवार ने इसे बेचने का फैसला लिया है। सोर्स के मुताबिक, स्टूडियो बेचने के लिए अभी कोई डेडलाइन सेट नहीं की गई है, लेकिन कपूर परिवार ने प्रॉपर्टी के जानकारों की एक टीम को यह काम सौंप दिया है, सोर्स के मुताबिक, कपूर परिवार ने यह फैसला पूरे सोच-विचार के साथ लिया है।
परिवार की सहमति से लिया निर्णय
ऋषि कपूर ने बताया है कि तीनों भाइयों के बीच बांडिंग काफी अच्छी है, मगर आने वाली जेनरेशन के बीच इस प्रॉपर्टी को लेकर अगर मनमुटाव हो गया और कोर्ट-कचहरी की नौबत आ गई तो यह अच्छा नहीं होगा। राज कपूर के तीनों बेटे रणधीर, ऋषि और राजीव कपूर के अलावा दोनों बेटियों रीमा जैन और रितु नंदा की स्वीकृति भी इसमें शामिल है।
टीवी सीरियल्स और एड फिल्मों के दम पर चल रहा है स्टूडियो
पिछले कुछ सालों से आरके स्टूडियो में फिल्मों की शूटिंग बेहद कम हो गई थी। कुछ टीवी सीरियल्स और एड फिल्मों की शूटिंग के दम पर ही स्टूडियो चल रहा था। दरअसल, फिल्ममेकर्स इन दिनों मुंबई के अंधेरी इलाके के स्टूडियो को प्राथमिकता देते हैं। जिसकी वजह से आरके स्टूडियो की आमदनी में गिरावट आई है।
70 साल पहले राज कपूर ने रखी थी नींव
हिंदी सिनेमा के पहले शो-मैन कहे जाने वाले राज कपूर ने 70 साल पहले 1948 में आरके स्टूडियो की नींव रखी थी। इस स्टूडियो के बैनर तले कई बड़ी फिल्में बनाई गईं। लेकिन इस स्टूडियो के बैनर तले बनी पहली फिल्म आग फ्लॉप रही थी, मगर दूसरी फिल्म बरसात को बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कामयाबी मिली थी. स्टूडियो का नाम राज कपूर के नाम पर रखा गया था। आरके स्टूडियो ने कई कल्ट और क्लासिक फिल्में बनाई हैं। आग, बरसात, आवारा, श्री 420, संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी और राम तेरी गंगा मैली फिल्में शामिल है।
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